शिक्षण संस्थानों के पुस्तकालयों में वाङ्मय स्थापना
गोयलआयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय तथा गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मेसी एण्ड साइंसेज में वाङ्मय स्थापना समारोह की झाँकी इंसेट में श्री उमानंद शर्मा, विचार क्रान्ति ज्ञानयज्ञ अभियान के संयोजक युगऋषि के साहित्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए
413 पुस्तकालयों में हुई स्थापना 13 वर्षों से चल रहा है अभियान
लखनऊ। उत्तर प्रदेश
गायत्री ज्ञान मंदिर इंदिरा नगर, लखनऊ द्वारा विचार क्रान्ति ज्ञान यज्ञ अभियान के अन्तर्गत दिनांक 29 जून 2024 को गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल सांइस अयोध्या रोड़, लखनऊ के केन्द्रीय पुस्तकालय में परम पूज्य गुरूदेव द्वारा रचित वाङ्मय के समस्त खण्डों की स्थापना की गई। साहित्य गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्त्ता श्री जितेन्द्र सिंह ने अपने पूर्वजों की स्मृति में भेंट किया है। गायत्री ज्ञान मंदिर द्वारा विगत लगभग 13 वर्षों से चलाए जा रहे वाङ्मय स्थापना अभियान के अंतर्गत यह 413 वीं स्थापना थी। इस अवसर पर वाङ्मय स्थापना अभियान के मुख्य संयोजक श्री उमानंद शर्मा, संस्थान के निदेशक डॉ. करूणा शंकर शुक्ला, विभागाध्यक्ष डॉ. अमित निगम, डॉ. वंदना सिंह, संकाय सदस्य, अधिकारीगण एवं छात्र-छात्रायें तथा गायत्री परिवार की ओर से देवेन्द्र सिंह, विजय, जितेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे। इससे पूर्व सक्रिय कार्यकर्त्ता श्री हंस जी ने अपने पूर्वजों की स्मृति में वेद आई.एस. एस. सेक्टर-सी अलीगंज लखनऊ के केन्द्रीय पुस्तकालय में एवं कॉन्वेट कॉलेज कुर्सी रोड, लखनऊ में समस्त 79 खण्डों की स्थापना कराई। श्रीमती सावित्री एवं उनकी पुत्रियों सुश्री गीता शर्मा, पार्वती शर्मा, नीलम शर्मा, स्वाती शर्मा एवं चाँदनी शर्मा ने स्व. रवि कुमार उपाध्याय की स्मृति में गोयल आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय, गोयल कैम्पस, अयोध्या रोड़ लखनऊ में तथा श्रीमती कैलाश यादव ने अपने प्रिय जीवनसाथी स्व. डॉ. वी.एस. यादव जी की स्मृति में गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मेसी एण्ड साइंसेज, गोयल कैम्पस, अयोध्या रोड़, लखनऊ में परम पूज्य गुरूदेव का सम्पूर्ण वाङ्मय स्थापित कराया। सभी कार्यक्रम शिक्षण संस्थानों के प्रबंधकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति में समारोहपूर्वक सम्पन्न हुए। वाङ्मय स्थापना अभियान संयोजक श्री उमानंद शर्मा ने इस साहित्य को जीवन का कायाकल्प करने वाला साहित्य बताते हुए इसके नियमित अध्ययन की प्रेरणाएँ दीं। इस अवसर पर वाङ्मय दानदाता और गायत्री परिवार के वरिष्ठ परिजन भी उपस्थित रहे। सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों में अखण्ड ज्योति पत्रिकाएँ नि:शुल्क वितरित की गइर्ं।