
देव संस्कृति विश्वविद्यालय में पहली एनईपी सारथी कार्यशाला सफलतापूर्वक सम्पन्न, एनईपी के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु विद्यार्थियों ने साझा किए विचार।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रभावी कार्यान्वयन को गति देने के उद्देश्य से 28 मार्च 2025 को देव संस्कृति विश्वविद्यालय में यूजीसी के निर्देशानुसार एनईपी सारथी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विद्यार्थियों ने एनईपी से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श किया और इसके समग्र क्रियान्वयन में अपनी भूमिका को रेखांकित किया।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने विद्यार्थियों को सारगर्भित मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय देश का पहला संस्थान है, जहाँ एनईपी को संपूर्ण रूप से लागू किया गया है। उन्होंने एनईपी से जुड़ी संभावनाओं और चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए विद्यार्थियों को इसमें सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “विद्यार्थियों के फीडबैक के आधार पर एनईपी और अधिक परिष्कृत रूप में विकसित होगी, जिससे देशभर के अन्य विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को भी लाभ मिलेगा।”
इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के तीनों चयनित एनईपी सारथी विद्यार्थियों ने विषय से जुड़ी प्रस्तुतियाँ दीं—
• शाम्भवी शुक्ला (स्नातक छात्रा) ने चतुर्वर्षीय डिग्री कार्यक्रम पर प्रकाश डाला।
• सुश्री अम्बिका राठौर (स्नातकोत्तर छात्रा) ने एबीसी खाते (Academic Bank of Credits) के महत्त्व को समझाया।
• श्री विवेक सुबुद्धि (पीएचडी छात्र) ने विश्वविद्यालय में एनईपी कार्यान्वयन की स्थिति पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।
कार्यशाला में डिप्टी डीन डॉ. सौरभ मिश्र जी एवं एनईपी समन्वयक प्रो. सुखनन्दन सिंह जी ने विद्यार्थियों के प्रश्नों का समाधान करते हुए उनके जिज्ञासाओं का समाधान किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन एवं शांति पाठ के साथ कार्यशाला का सफल समापन हुआ।
यह कार्यशाला विद्यार्थियों के बीच एनईपी की गहरी समझ विकसित करने और उसके प्रभावी क्रियान्वयन में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही।