अखिल भारतीय वैदिक सम्मेलन 2024 का शुभारंभ: हरिद्वार की पावन धरती पर भारतीय संस्कृति का महोत्सव
हरिद्वार, जहाँ पतितों को पावन करने वाली माँ गंगा की जलधारा बहती है, और नगाधिराज हिमालय की छाया में ऋषियों की पवित्र भूमि समाहित है, वहाँ सूरत गिरी बंगला आश्रम में आयोजित "अखिल भारतीय वैदिक सम्मेलन 2024" का शुभारंभ हुआ। यह अवसर भारतीय ज्ञान परंपरा के संवर्धन और प्रसार के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
इस महायज्ञ का उद्घाटन अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ. पंड्या जी ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया और भारत की वैदिक धरोहर को जन-जन तक पहुँचाने के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा:
"आज इस पवित्र भूमि पर उपस्थित होना मेरा सौभाग्य है। यह समय भारत के जागरण का है—हमारे अध्यात्मिक ज्ञान और वैदिक परंपराओं को समझने, उन्हें अपनाने और उन्हें विश्व भर में प्रचारित करने का समय है।"
डॉ. पंड्या जी ने भारत को अध्यात्मिक मानचित्र पर एक दिव्य स्थान के रूप में स्थापित करने की दिशा में जागरूकता लाने की बात कही। उनका आवाहन था कि हर व्यक्ति इस वैदिक सम्मेलन के माध्यम से भारतीय संस्कृति और इसकी शाश्वत परंपराओं को आत्मसात करे और दुनिया के सामने भारत की दिव्यता का परिचय दे।
इस आयोजन में प्रमुख अतिथि स्वामी विश्ववेश्वरानंद जी महाराज, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के श्री सुरेश भैयाजी जोशी और स्वामी राजराजेश्वराश्रम जी महाराज एवं देशभर से आए संत, विद्वान एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे।