यज्ञकुण्ड में दी अपनी और अपने जीवन साथी की बुराइयों की आहुति
अमेठी। उत्तर प्रदेश
आज परिवार टूट रहे हैं, छोटे-छोटे शहरों में वृद्धाश्रम खुल रहे हैं। सामाजिक मान्यताएँ और परम्परायें टूट रही हैं। ऐसी विषम परिस्थितियों में वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के क्रान्तिकारी विचारों को लेकर गायत्री परिवार ‘परिवार निर्माण’ से ‘राष्ट्र निर्माण’ की कड़ी जोड़ने के लिए गाँव-गाँव, घर- घर पहुँच रहा है। शान्तिकुञ्ज प्रतिनिधि श्री दिनेश पटेल ने गायत्री शक्तिपीठ अमेठी में 27अक्टूबर को आयोजित नव दम्पति सम्मेलन में भाग ले रहे सैकड़ों दम्पतियों को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने परम पूज्य गुरूदेव द्वारा बताये गए ‘गृहस्थ एक तपोवन है।’ सूत्र की व्याख्या करते हुए परिवार में संयम, सेवा, सहिष्णुता, सहकार व स्नेह की भावना को प्रोत्साहित करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि पति पत्नी एक-दूसरे का सहयोग करते हुए परिवार में सुव्यवस्था, श्रमशीलता, सहकारिता, मितव्ययता एवं शालीनता सुनिश्चित करें तो परिवार स्वर्ग बनता चला जायेगा। शान्तिकुञ्ज की संगीत टोली द्वारा गाये गए प्रज्ञागीत ‘भारत की परिवार व्यवस्था ही रत्नों की खान है...’ आदि बहुत उत्साहवर्धक और लोकप्रिय रहे। श्री कैलाश नाथ तिवारी ने वर-वधु की प्रतिज्ञाएँ दोहरवाइर्ं। सभी दम्पतियों को यह शपथ पत्र और परिवार निर्माण संबंधी युग साहित्य उपहारस्वरूप भेंट किये गए। कार्यक्रम को प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ के प्रतिनिधि प्रभाकर सक्सेना व जिला समन्वयक डॉ. त्रिवेणी सिंह ने भी संबोधित किया। सभी दंपत्तियों ने इस कार्यक्रम की भूरि- भूरि सराहना की।
यह सम्मेलन अमेठी में 18 से 22 मार्च 2025 की तिथियों में आयोजित होने जा रहे राष्ट्र जागरण 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के प्रयाज के क्रम में आयोजित किया गया था। कुछ विशेष प्रयोग भी हुए जैसे कि अपनी और अपने जीवन साथी की एक-एक बुराई को एक पर्चे पर लिखने तथा उसे छोड़ने के भाव से यज्ञकुण्ड में भस्म कर देने के लिए कहा गया।