मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित पातंजल योग सूत्र साधन पाठ
| नई दिल्ली ||
१२ दिसंबर २०२४
आज मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली में आयोजित पातंजल योग सूत्र साधन पाठ (व्यास भाष्य के आलोक में) पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के आदरणीय प्रतिकुलपति, डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को अलंकृत किया।
कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान की वरिष्ठ अधिकारी डॉ. इंदु शर्मा द्वारा प्रार्थना से हुई। डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपने उद्बोधन में योग और भारतीय संस्कृति पर अपने अद्भुत और गहन विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा," महर्षि पतंजलि के 195 सूत्रों में ज्ञान प्रवाहित हुआ है। मनुष्य के चित्त को समझने के लिए पातंजलि के योग सूत्र से बड़ा कोई ज्ञान नहीं है। हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि ऐसी महान विभूतियों की धरती पर जन्में हैं।"
उन्होंने भारतीय संस्कृति के अपार महत्त्व पर जोर देते हुए कहा, "भारत की धरती महान विभूतियों की भूमि है, यह स्वामी विवेकानंद, परम पूज्य गुरुदेव की धरती है। यहाँ इंसान को इंसानियत सिखाने का अद्वितीय कार्य हुआ है। योग की यात्रा वास्तव में आत्मा के भीतर की यात्रा है और भीतर की शांति को प्राप्त करने का मार्ग योग का मार्ग है।"
डॉ. पंड्या जी ने गुरुदेव के महत्वपूर्ण विचार साझा करते हुए कहा, "हर दिन नया जन्म होता है, और हर रात नई मृत्यु।" जीवन जीने की कला ही योग है।