जालौर में माँ गायत्री की पुनर्प्राण प्रतिष्ठा, श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ यज्ञ।
|| जालौर, राजस्थान ||
25 दिसंबर 2024
राजस्थान प्रवास के दूसरे दिन, जालौर के गायत्री शक्तिपीठ में माँ गायत्री की पुनर्प्राण प्रतिष्ठा और 24 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन अत्यंत श्रद्धा और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस पावन अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को आलोकित किया।
डॉ. पंड्या जी ने अपने संबोधन में भगवान की सर्वज्ञता और उनकी अनंत कृपा पर प्रकाश डालते हुए कहा, “जिसने पूरी दुनिया बनाई है, उसे आपके जीवन के हर कष्ट और घटना का ज्ञान है। भगवान न केवल कष्टों को देखते हैं, बल्कि जब जीवन में तूफान आता है, तो उसे शांत करने की भी व्यवस्था बनाते।” उन्होंने महाभारत के प्रसंग का उदाहरण दिया, जहाँ अर्जुन की परीक्षा के समय भगवान कृष्ण ने अर्जुन को यह समझाया कि “पुरुषार्थ हमारा कर्तव्य है , लेकिन जीवन की लहरों को शांत करने का कार्य भगवान करते हैं।”
डॉ. पंड्या जी ने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने की जिम्मेदारी हमारी होती है, और भगवान हमारे हर कदम में सहायक होते हैं। “भगवान हमारी समस्याओं को दूर करते हैं, लेकिन हमारे आत्मविश्वास और प्रतिरोधक क्षमता को कभी समाप्त नहीं करते। जब आपके भीतर समर्पण और विश्वास होता है, तब आप दुनिया की सबसे बड़ी संपदा—विश्वास—का अनुभव करते हैं।”
उन्होंने जीवन में आत्मविश्वास और समर्पण की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि “जब व्यक्ति को स्वयं पर भरोसा होता है, तभी उसके जीवन में चमत्कार घटित होते हैं। सफल जीवन के लिए किसी विशेष मंत्र की आवश्यकता नहीं होती, बस अपने विश्वास और पुरुषार्थ पर भरोसा होना चाहिए।” इससे पूर्व उन्होंने बाड़मेर से जालौर के मध्य में सिंधारी, जीवाना, सयाला, बिशनगढ़ में गायत्री परिजनों से भेंट की।