
मुंबई अश्वमेध वार्षिकोत्सव, ज्योतिकलश पूजन एवं भव्य दीपयज्ञ: आध्यात्मिक ऊर्जा का महोत्सव, समाज के नव निर्माण का संकल्प
मुंबई में आज का दिन अद्वितीय और आलौकिक चेतना से परिपूर्ण था, जब हजारों साधक और श्रद्धालु अश्वमेध वार्षिकोत्सव, ज्योतिकलश पूजन एवं भव्य दीपयज्ञ के लिए एकत्रित हुए। इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की उपस्थिति ने कार्यक्रम में आध्यात्मिक ऊर्जाओं का संचार किया।
मुंबई प्रवास के दौरान आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने गायत्री परिवार के परिजनों, युवाओं और विशिष्ट अतिथियों से आत्मीय संवाद किया, जहाँ समाज के हर क्षेत्र से जुड़ी विभूतियों ने उनकी वाणी से प्रेरणा ली। डॉ. पंड्या जी के विचार, जो हर बार जीवन की उच्चतर संभावनाओं को जागृत करने के लिए होते हैं, ने इस आयोजन को और भी प्रेरणास्पद बना दिया।
आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने भव्य दीपयज्ञ अवसर पर विशेष रूप से 2026 में अखण्ड दीपक के 100 वर्ष पूरे होने और परम वंदनीया माताजी की जन्मशताब्दी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “वंदनीया माताजी का जीवन एक प्रेरणा है, जिनकी साधना, तप और समर्पण ने हम सभी को सतत् सेवा और आत्मोत्थान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। उनकी जन्मशताब्दी के अवसर पर हमें उनके जीवन-मूल्यों को आत्मसात कर, समाज के उत्थान और धर्म की स्थापना के संकल्प को और सशक्त बनाना चाहिए। अखण्ड दीपक, जो उनके नेतृत्व में प्रज्वलित हुआ, हमें निरंतर प्रकाश और साहस का प्रतीक बना रहेगा।”
विशिष्ट अतिथि के रूप में महाराष्ट्र के माननीय उपमुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे जी एवं पूर्व सांस्कृतिक, वित्त और वन मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार जी संग श्री मिहिर कोटेचा जी ने भी दीपयज्ञ के अवसर पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “कलयुग में हम सभी एक अदृश्य युद्ध का सामना कर रहे हैं, जिसमें राम के आदर्शों का पालन और उनकी विजय प्राप्त करना ही हमारा उद्देश्य है। गायत्री परिवार सनातन धर्म की रक्षा और विजय का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, जो समाज में सत्य, धर्म और निष्ठा की स्थापना कर रहा है।”
कार्यक्रम का समापन आदरणीय डॉ. पंड्या जी के प्रेरणादायी विचारों और गायत्री परिवार की समाज सेवा और कल्याण की दिशा में किए जा रहे अथक प्रयासों की सराहना के साथ हुआ।