साधना: शान्तिकुञ्ज में नौ दिवसीय संजीवनी साधना सत्र (हर माह की १ से ९, ११ से १९ और्ब २१ से २९ तक की तारीखों में) सदैव चलते हैं। अध्यात्म के गूढ़ विवेचनों की सरल व्याख्या कर उन्हें जीवन में कैसे उतारा जाय? उसके द्वारा चरित्र, चिंतन और व्यवहार में उत्कृष्टता लाकर व्यक्तित्व को कैसे प्रभावशाली बनाया जाय? इसका प्रशिक्षण नौ दिवसीय संजीवनी साधना सत्रों में दिया जाता है । उच्च स्तरीय साधकों के लिए के लिए अंत:उर्जा जागरण सत्र विशेष तिथियों में अयोजित होते है।
लोकसेवियों का प्रशिक्षण: शान्तिकुञ्ज का एक प्रमुख उद्देश्य है लोकसेवियों का सर्वांगपूर्ण शिक्षण करके जनमानस का परिष्कार। यहाँ एक मासीय युगशिल्पी सत्र, परिव्राजक प्रशिक्षण सत्र, संगीत सत्र, ग्राम प्रबंधन सत्र नियमित रुप से अयोजित होते हैं। इसके अतिरिक्त शिक्षक, स्काउट-गाइड, बैंक, रेलवे, सरकारी अधिकारी, अधिवक्ता आदि वर्गों के व्यक्तित्व परिष्कार शिविर समय-समय पर आयोजित होते हैं।
शिक्षा: शान्तिकुञ्ज द्वारा स्थापित देव संस्कृति विश्वविद्यालय अपने आधुनिक पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों में राष्ट्रभक्ति स्तर पर भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा और बाल संस्कार शालाओं का संचालन होता है। यह 'युग निर्माण भारत स्काउट एवं गाइड, शान्तिकुञ्ज का मुख्यालय भी है।
संस्कार: यहाँ भारतीय संस्कृति के अनुसार सभी संस्कार (पुंसवन, नामकरण, अन्न प्राशन, मुंडन शिखा स्थापन, यज्ञोपवीत विवाह, जन्म दिवस, विवाह दिवस, श्राद्ध-तर्पण आदि) प्रेरक ढंग से नि:शुल्क संपन्न कराने की व्यवस्था है। दिव्य वातावरणा और पवित्र प्रेरणाओं से संस्कार को प्रभावशाली बनाने के साथ यहाँ प्रतिवर्ष हजारों लोग विवाह, यज्ञोपवीत आदि खचीले संस्कार सादगीपूर्वक सम्पन्न कराते हुए अपने और समाज के करोडों रुपयों की बचत करते हैं।
स्वास्थ्य: हर व्यक्ति को सरलता से स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो, इसके लिए शान्तिकुञ्ज ने आयुर्वेद का पुनर्जीवन किया है। आहार, विहार और विचारों की शुद्धि तथा सरलता से उपलब्ध वनौषधियों से ही स्वास्थ्य रक्षा की प्रेरणा और परामर्श शान्तिकुञ्ज द्वारा दिये जाते हैं।
स्वावलम्बन: आर्थिक स्वावलम्बन के लिए हथकरघा, हस्त निर्मित कागज, स्क्रीन प्रिंटिं, वानिकी, बेकरी जैसे अनेक उद्योगों का यहाँ प्रशिक्षण दिया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण: हरीतिमा संवर्धन के लिए शान्तिकुञ्ज ने वृक्षगंगा अभियान चलाया है, जिसके अंतर्गत एक करोड़ वृक्ष देश में लगाये गये हैं।
'कूडा निस्तारण' की शान्तिकुञ्ज में विशेष व्यवस्था है। यहाँ से कूडे़ का एक कतरा भी बाहर नहीं फेंका जाता, हर प्रकार के कूडे़ के रीसाइकलिंग यहाँ व्यवस्था है।
नदी एवं तीर्थ शुद्धिकरण अभियान: गायत्री परिवार ने भागीरथी जलाभिषेक का राष्ट्रीय अभियान चला रखा है। इसके अंतर्गत गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। अब तक मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा-नर्मदा एवं ताप्ती, शिवना (मंदसौर म० प्र०), डोही (अलीराजपुर म० प्र०), मदांकिनी (चित्रकूट, म० प्र०), राजस्थान की जीवन रेखा-बनास के शुद्धिकरण के लिए पिछले कई वर्षों से प्रखर अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत जलस्त्रोतों के घाटों की सफाई, तटीय नगर-ग्रामों में जन-जागरुकता एवं सेवा मंडलों की स्थापना, तटों पर सघन वृक्षारोपण, जैविक कृषि को प्रोत्साहन जैसे कार्य किये जाते है।
आपदा प्रबंधन: शान्तिकुञ्ज आपदा प्रबंधन का एक राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त केन्द्र है। यहाँ शासकीय आपदा प्रबंधन दस्ता सक्रिय है, जो आकस्मिक आपदाओं के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में गन्दगी-खुले में शौच की समस्या के निवारण, जनजागरण, हरीतिमा संवर्धन जैसे कार्यों में निंरतर संलग्न रहता है। पूरे देश में गायत्री परिवार की हजारों आपदा प्रबंधन इकाइयाँ है। देश की अनेक राष्ट्रीय आपदाओं में गायत्री परिवार ने महीनों सक्रिय रहकर राहत और पुनर्वास के कार्य किये हैं। उत्तराखंड में शासन का यह अत्यंत प्रभावी और विश्वसनीय आपदा प्रबंधन केन्द्र है। देश और प्रदेश में भूस्खलन, बादल फटने, आगजनी, बाढ़ जैसी आये दिन आने वाली आपदाओं से निपटने में शान्तिकुञ्ज की भागिदारी होती है।
कुरीति उन्मूलन: समाज को खोखला कर रहीं व्यसन, दहेज, कन्या भ्रूणहत्या जैसी अनेक कुरीतियों के विरोध में शान्तिकुञ्ज ने सशक्त अभियान चलाये है और शानदार सफलताएँ पायी है।
नारी जागरण: परम पूज्य गुरुदेव ने 'इक्कीसवीं सदी-नारी सदी' का उद्घोष करते हुए कहा था कि नारी ही नवयुग का नेतृत्व करेगी। उनके तपोबल से देश की लाखों-करोडों नारियों को गायत्री उपासना का अधीकार मिला। हजारों देवियाँ अपने परिवारों को संस्कारवान् बना रही है और पुरोहित बनकर नवचेतना जगा रही हैं। गायत्री परिवार का नारी जागरण अभियान उसे सभ्य, सुशील, संवेदनशील, संस्कारवान बनाने के लिए प्रयत्नशील है।