वृक्षारोपण आभियान
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वृहद् वृक्षारोपण मास
गुरुपूर्णिमा 21 जुलाई से श्रावण पूर्णिमा 19 अगस्त 2024
यूँ तो वर्ष भर परिजन वृक्ष लगाते हैं किन्तु एक लक्ष्य लेकर वर्षा के इस समय पौधा लगाना अपेक्षाकृत सरल होता है। चातुर्मास के इस पवित्र काल में यह पुण्य काम अधिक फलदायी हो सकता है। इस वर्ष के लिए वृक्षारोपण के निम्न्लिखित प्रकल्प प्रस्तावित है। कार्यकर्ताओं द्वारा अपनी रूचि एवं सम्भावना अनुसार एकाधिक प्रकल्प हाथ में लिए जा सकते हैं।
1. माताजी की बाड़ी / बाल वाटिका(green corner)- प्रत्येक देव परिवार जिनके पास आँगन/ छत/ बालकनी में 3'&3' की जगह उपलब्ध हो वे माताजी की बाड़ी (बाल वाटिका) में 50 पौधे अपने यहाँ स्थापित करे तथा वर्ष 2026 तक पौधों का पालन पोषण कर बड़ा करे लें।
2. श्रद्धा रोपणी - प्रत्येक शक्तिपीठ अपने यहाँ एक 10'&10' की रोपणी तैयार करे जिसमें 500-1000 पौधे तैयार हो सकते हैं। इन पौधों को जन्मदिन, विवाहदिन पर तरूप्रसाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
3. उपरोक्त 1 एवं 2 में जो पौधे तैयार होंगे उन्हें 2026 में माताजी के शताब्दी वर्ष माँ भगवती स्मृतिवन, उपवन में उपयोग किया जायेगा।
4. माता जी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में वृहद् वृक्षारोपण हेतु अपने क्षेत्र में खाली भूमि / टेकरी/ पहाड़ी/ विद्यालय/ नदी के तट को गोद लेकर उसे माँ भगवती स्मृति उपवन के रूप में विकसित करें तथा तरु पुत्र योजनान्तर्गत सामूहिक वृक्षारोपण हेतु भी उपयोग किया जा सकता है।
5. गमलों में स्वास्थ्य- चयनित 20 वनौषधियों को घर पर गमलों में रोपण कर सामान्य स्वास्थ्य रक्षण करना।
6. लघु आरोग्य वाटिका- अपने परिवारजनों मे स्वास्थ्य संरक्षण एवं जीवनी शक्ति विकास के लिए अपने घर पर गमलों में जीवनी शक्ति वर्धक वनौषधियों यथा- तुलसी, अमृता (गिलोय), घृतकुमारी (एलोवेरा), आज्ञाघास, वासा (अडूसा), हल्दी, अदरक, कालमेध, शरपुंखा आदि का रोपण करें।
7. शाक वाटिका - घर-घर में आंगनबाड़ी का विकास करना जिससे परिजनों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना एवं पारिवारिक पोषण हेतु रसायन रहित शाक उपलब्ध कराना।
8. बीज बम - इस मौसम में उपलब्ध फलों यथा- आम, जामुन, बेल आदि के बीजों को गोबरयुक्त मिट्टी के गोले बना कर उनमें बीच में रखना बाद में आसपास के खाली स्थानों पर, या यात्रा के दौरान जंगलों में उचित स्थान पर रख देना जिससे वर्षा होते ही उनमें से अंकुर निकलेंगे।
9. तुलसी वृन्दावन की स्थापना- घर-घर में तुलसी के बिरवे की स्थापना एवं तुलसी के पौधों का वितरण।
10. एक परिजन एक वृक्ष- यदि और कुछ नहीं कर सकें तो इतना तो अवश्य किया जा सकता है कि इस अवधि में हमारे परिजन एक वृक्ष तो अवश्य लगायें। होना तो यह चाहिये कि परिवार में चार सदस्य हों तो कम से कम चार पौधे तो अवश्य लगायें, उनकी कम से कम एक वर्ष पूरी देखभाल करें तो भी लाखों वृक्ष अल्प से प्रयास से लग जायेंगे। आपके परिवार द्वारा लगाये वृक्षों की संख्या हमें सीधे अथवा संगठन, शक्तिपीठ के माध्यम से अवश्य सूचित करें जिससे इस अवधि में लगे वृक्षों की संख्या ज्ञाता हो सके।
11. रक्षाबन्धन पर भाई- बहिन एक दूसरे के नाम का वृक्ष लगायें तथा तरु भेंट प्रदान करें।
ज्ञातव्य :-
- लगाये जाने वाले पौधों का चयन करते समय ध्यान रखें कि लगाये जाने वाले पौधों के चयन में औषधीय, धार्मिक महत्व के, फलदार, फूल वाले, घनी छाया वाले स्थानीय प्रजाति के पौधों को प्राथमिकता दें।
- वृहद् वृक्षारोपण हेतु सार्वजनिक स्थानों का चयन एवं आवश्यक अनुमति प्राप्त कर तरुपुत्र रोपण महायज्ञ का आयोजन कर वृक्षारोपण करना।
- स्वच्छ एवं हरित भारत हमारी गुरुसत्ता के लिए एक सार्थक श्रद्धांजलि होगी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिये बड़ा योगदान होगा
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आपको "तरु मित्र" और "तरु पुत्र" बनने के लिए प्रेरित करने के लिए
पर्यावरण और स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता;
स्वस्थ शरीर - शुद्ध मन;
श्रीराम मेमोरियल गार्डन, स्वच्छ, हरा और स्वस्थ पर्यावरण;
डिवाइन इंडिया यूथ एसोसिएशन और मूल संस्था गायत्री परिवार द्वारा 1 करोड़ पेड़ लगाए गए।
इस वृक्षारोपण आंदोलन से 100 पहाड़ियाँ हरी भरी की गयीं।
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लक्ष्य और दृष्टि
वृक्ष गंगा अभियान - देश भर में 1 करोड़ पेड़ लगाने और बंजर पहाड़ी क्षेत्रों को उपजाऊ और हरा-भरा बनाने का संकल्प।
पर्यावरण जागरूकता पैदा करने में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना।
इन उद्यानों में योग-ध्यान, जड़ी-बूटी उत्पादन, एक्यूप्रेशर और आयुर्वेदिक उपचार जैसे नए प्रोजेक्ट शुरू करें।
स्वस्थ तन और स्वच्छ मन के बल पर सभ्य समाज का विकास करना।
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हमारी अवधारणा
आज वृक्षारोपण केवल पुण्यदायी कर्म ही नहीं, एक राष्ट्र धर्म के रूप में देखा जाना चाहिए। धरती माँ का आँचल सूना होता जा रहा है। उसे पुन: हरा-भरा करने के लिये स्वाधीनता संग्राम जैसे ही किसी आंदोलन और वैसी ही लगन वाले शूरवीरों की जरूरत है। राष्ट्र के विकास के लिये न जाने कितनी योजनायें चल रही हैं; परन्तु यदि पर्यावरण ही न बचा तो सभी योजनाएँ विफल हो जायेंगी। आज सर्वप्रथम आवश्यकता है पर्यावरण संरक्षण की। हम तरुमित्र या तरुपुत्र बनकर वृक्षों की सेवा करें तो अक्षय पुण्य के भागीदार बन सकते हैं।
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कार्य योजना
शहर में प्रचुर उद्यान या ग्राम क्षेत्र में बंजर भूमि या पहाड़ी का चयन।
शहर/शहरी क्षेत्र के लिए:
शहर में श्रीराम स्मृति उपवन का विकास।
उद्यान का विकास (युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य स्मृति उपवन)
स्थानीय प्राधिकरण और जनता की मदद से विकास के लिए एक प्रचुर उद्यान का अधिग्रहण करें।
उसके लिए लेआउट योजना तैयार करना।
एक्यूप्रेशर पथ।
पवित्र वृक्षों का रोपण - नक्षत्र वाटिका, गृह वाटिका, राशि वाटिका।
एक्यूप्रेशर पथ के साथ हर्बल प्लांट बेड।
आगंतुकों के लिए लौकी, जवारा, एलोवेरा आदि के रस एवं अंकुरित अनाज आदि की व्यवस्था करना।
योग केंद्र/ध्यान/पिरामिड केंद्र और पक्षियों का आश्रय।
स्मृति चिह्न पौधारोपण।
ग्रामीण क्षेत्र के लिए:
गाँवों में पहाड़ी/बंजर भूमि पर विकास एवं वृक्षारोपण।
पहाड़ी/क्षेत्र का आवंटन।
भूमि/बाड़ का विकास।
नलकूप/सिंचाई का स्रोत।
तरु के चयनित माता और पिता की मदद से तरु पुत्र यज्ञ का उत्सव।
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वृक्ष कहाँ एवं कैसे लगायें ?
एक निवेदन :-
कम से कम एक वृक्ष अपने पुत्र या पुत्री के समान जिम्मेदारी के भाव के साथ अवश्य लगाएँ.
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :-
युवा प्रकोष्ठ- शांतिकुंज हरिद्वार
Call:- 9258360652
Whatspp:- 9258360962
E-mail: youthcell@awgp.org