उद्देश्य:
नदियों की व्यथा को अपने सतर्क सपूतों के समक्ष प्रस्तुत करने का एक विनम्र प्रयास।
राज्य में जल संसाधनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सामाजिक जागरूकता।
कदम:
जल शोधन - शुद्ध जल
जल को शुद्ध रखने के लिए जनता को प्रेरित करना
प्रदूषित पानी के निर्वहन बिंदु पर निस्पंदन संयंत्र।
तटों पर पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक लगाएँ ।
सामूहिक सफाई कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता फैलाएँ।
नदी तट शोधन - सुगंधित शुद्ध नदी तट
विभिन्न घाटों पर शौचालय बनवाएँ।
स्वयंसेवकों द्वारा नियमित सफाई।
स्थानीय नगर पालिका/पंचायत को शामिल करें।
तटों/घाटों को तीर्थ के रूप में विकसित कर सम्मान की भावना जागृत करें।
सुगंधित और छायादार वृक्षों का रोपण - "हरि चूनर"।
घाटों का निर्माण
नदी-तट-किनारे के ग्राम का शुद्धिकरण -सांस्कृतिक ग्राम
तटरेखा पर स्वच्छ, स्वस्थ, व्यसन मुक्त, आत्मनिर्भर और सुसंस्कृत गाँवों का विकास करना।
नैतिक मूल्यों और कृषि पर आधारित संस्कृति का समर्थन करें।
जैविक खेती और डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देना।
तटीय गाँवों में स्वयंसेवकों के समूह (दीया - DIYA) स्थापित करें।
अलग-अलग गड्ढे में (मिट्टी से बनी) मूर्तियों को विसर्जित करने की परंपरा शुरू करें।
दीवारों पर प्रेरक उद्धरण लिखें।
बैठकों/व्याख्यानों के माध्यम से ग्रामीणों को प्रेरित करें।