Gurudev Amrut Vanni
अनुशासन सीखिये
अनुशासन सीखिये
एक बार मेढ़कों को अपने समाज की अनुशासनहीनता पर बड़ा खेद हुआ और वे शंकर भगवान के पास एक राजा भेजने की प्रार्थना लेकर पहुँचे। प्रार्थना स्वीकृत हो गई। कुछ समय बाद शिवजी ने अपना बैल मेढ़कों के लोक में शासन करने भेजा। मेढ़क इधर-उधर निःशंक भाव से घूमते फिरे सौ उसके पैरों के नीचे दब कर सैकड़ों मेढ़क ऐसे ही कुचल गये।
ऐसा राजा उन्हें पसंद नहीं आया मेढ़क फिर शिवलोक पहुँचे और पुराना हटा कर नया राजा भेजने का अनुरोध करने लगे। वह प्रार्थना स्वीकार कर ली गई। बैल वापिस बुला लिया गया। कुछ दिन बाद स्वर्गलोक से एक भारी शिला मेढ़कों के ऊपर गिरी उससे हजारों की संख्या में वे कुचल कर मर गये। इस नई विपत्ति से मेढ़कों को और भी अधिक दुःख हुआ और वे भगवान के पास फिर शिकायत करने पहुँचे।
शिवज...
आध्यात्मिक शिक्षण क्या है?
हे भगवान्! हम तेरी आरती उतारते हैं और तेरे पर बलि बलि जाते हैं। हे भगवान्! तू धन्य है। सूरज तेरी आरती उतारता है, चाँद तेरी आरती उतारता है। हम भी तेरी आरती उतारेंगे। तेरी महत्ता को समझेंगे, तेरी गरिमा को समझेंगे। तेरे गुणों को समझेंगे और सारे विश्व में तेरे सबसे बड़े अनुदान और शक्ति प्रवाह को समझेंगे। हे भगवान्! हम तेरी आरती उतारते हैं, तेरे स्वरूप को देखते हैं। तेरा आगा देखते हैं, तेरा पीछा देखते हैं, नीचे देखते हैं। सारे मुल्क में देखते हैं। हम शंख बजाते हैं। शंख एक कीड़े की हड्डी का टुकड़ा है और वह पुजारी के मुखमंडल से जा लगा और ध्वनि करने लगा। दूर दूर तक शंख की आवाज पहुँच गयी। हमारा जीवन भी शंख की तरीके से जब पोला हो जाता है। इसमें से मिट्टी और कीड़ा जो भरा होता है, उसे निकाल देते हैं। जब तक ...
आध्यात्मिक शिक्षण क्या है?
साथियो! हम भगवान् के चरणारविन्दों पर फूल चढ़ाते हैं। हम खिला हुआ फूल, हँसता हुआ फूल, सुगंध से भरा हुआ फूल, रंग बिरंगा फूल ले आते हैं। इसमें हमारी जवानी थिरक रही है और हमारा जीवन थिरक रहा है। हमारी योग्यताएँ प्रतिभायें थिरक रही हैं। हमारा हृदयकंद कैसे सुंदर फूल जैसे है। उसे जहाँ कहीं भी रख देंगे, जहाँ कहीं भी भेज देंगे, वहीं स्वागत होगा। उसे कुटुम्बियों को भेज देंगे, वे खुश। जब लड़का कमा कर लाता है। आठ सौ पचास रुपये कमाने वाला इंजीनियर पैसा देता है, तो सोफासेट बनते हुए चले जाते हैं। माया घर में आती हुई चली जाती है। कौन मना करेगा? कोई नहीं करेगा। खिला हुआ फूल बीबी के हाथ में रख दिया जाय, तो बीबी मना करेगी क्या? नाक से लगाकर सूँघेगी छाती से लगा लेगी और कहेगी कि मेरे प्रियतम ने गुलाब का फूल लाकर क...
आध्यात्मिक शिक्षण क्या है?
मित्रो! आध्यात्मिक व्यक्ति बनने के लिए पूजा की क्रिया करते- करते हम मर जाते हैं। यह आध्यात्मिक शिक्षण है। यह शिक्षण हमको सिखलाता है कि धूपबत्ती जलाने के साथ साथ में हमको यह विचार करना है कि यह हमारे भीतर प्रकाश उत्पन्न करती है। दीपक लेकर हम बैठ जाते हैं। दीपक जलता रहता है। रात में भगवान् को दिखाई न पड़े, बात कुछ समझ में आती है; लेकिन क्या दिन में भी दिखाई नहीं पड़ता? दिन में भगवान् के आगे दीपक जलाने की क्या जरूरत है? इसकी जरूरत नहीं है। कौन कहता है कि दीपक जलाइए क्यों हमारा पैसा खर्च कराते हैं? क्यों हमारा घी खर्च कराते हैं। इससे हमारा भी कोई फायदा नहीं और आपका भी कोई फायदा नहीं। आपकी शक्ल हमको भी दिखाई पड़ रही है और बिना दीपक के भी हम आपको देख सकते हैं। आपकी आँखें भी बरकरार हैं; फिर क्यों दीप...
आध्यात्मिक शिक्षण क्या है?
साथियो! आपने हर हाल में समाज की सेवा की; लेकिन जब चुनाव में खड़े हुए, तो एमपी एमएलए के लिए लोगों ने आपको वोट नहीं दिया और दूसरे को दे दिया। इससे आपको बहुत धक्का लगा। आपने कहा कि भाई। हमने तो अटूट सेवा की थी; लेकिन जनता ने चुनाव में जीतने ही नहीं दिया। ऐसी खराब है जनता। भाड़ में जाये, हम तो अपना काम करते हैं। हमें चुनाव नहीं जीतना है। उपासना में भी ऐसी ही निष्ठा की आवश्यकता है। आपने पत्थर की एकांगी उपासना की और एकांगी प्रेम किया। उपासना के लिए, पूजा करने के लिए हम जा बैठते हैं। धूपबत्ती जलाते हैं। धूपबत्ती क्या है? धूपबत्ती एक कैंडिल का नाम है। एक सींक का नाम है। एक लकड़ी का नाम है। वह जलती रहती है और सुगंध फैलाती रहती है।
सुगंध फैलाने में भगवान् को क्या कोई लाभ हो जाता है? हमारा कुछ लाभ हो ज...
आध्यात्मिक शिक्षण क्या है?
यह दुनिया बड़ी निकम्मी है। पड़ोसी के साथ आपने जरा सी भलाई कर दी, सहायता कर दी, तो वह चाहेगा कि और ज्यादा मदद कर दे। नहीं करेंगे, तो वह नेकी करने वाले की बुराई करेगा। दुनिया का यह कायदा है कि आपने जिस किसी के साथ में जितनी नेकी की होगी, वह आपका उतना ही अधिक बैरी बनेगा। उतना ही अधिक दुश्मन बनेगा; क्योंकि जिस आदमी ने आपसे सौ रुपये पाने की इच्छा की थी और आपने उसे पन्द्रह रुपये दिये। भाई, आज तो तंगी का हाथ है, पंद्रह रुपये हमसे ले जाओ और बाकी कहीं और से काम चला लेना। पंद्रह रुपये आपने उसे दे दिये और वह आपके बट्टे खाते में गये, क्योंकि आपने पचासी रुपये दिये ही नहीं। इसलिए वह नाराज है कि पचासी रुपये भी दे सकता था, अपना घर बेचकर दे सकता था। कर्ज लेकर दे सकता था अथवा और कहीं से भी लाकर दे सकता था; लेकि...
भावनाएँ भक्तिमार्ग में नियोजित की जायें
भावनाओं की शक्ति भाप की तरह हैं यदि उसका सदुपयोग कर लिया जाय तो विशालकाय इंजन चल सकते हैं पर यदि उसे ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाय तो वह बर्बाद ही होगी किसी के काम न आ सकेगी। भावनाओं में भक्ति का स्थान बहुत ऊँचा है। उसका सहारा लेकर मनुष्य नर से नारायण बन सकता है। किन्तु यदि उसे एक कल्पना-आवेश मात्र मन बहलाव रहने दिया जाय तो उससे किसी का कुछ प्रयोजन सिद्ध न होगा। रविशंकर महाराज ने आज के भक्तों की तीन रोगों से ग्रसित गिनाया है (गाना) (2) रोना (3) दिखावा।
भजन कीर्तन के नाम पर दिन-रात झाँझ बजती और हल्ला होता है। गाना वही सार्थक है जो विवेक पूर्वक गाया जाय जिसमें प्रेरणा हो और उसे हृदयंगम करने का लक्ष्य सामने रखा गया हो। जहाँ केवल कोलाहल कही उद्देश्य हो वहाँ, भक्ति का प्रकाश कैसे उत्पन्न होगा।
रो...
‘बुरे’ भी ‘भले’ बन सकते हैं (भाग 2)
कोई मनुष्य अपने पिछले जीवन का अधिकाँश भाग कुमार्ग में व्यतीत कर चुका है या बहुत सा समय निरर्थक बिता चुका है तो इसके लिए केवल दुख मानने पछताने या निराशा होने से कुछ प्रयोजन सिद्ध न होगा। जीवन का जो भाग शेष रहा है वह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। राजा परीक्षित को मृत्यु से पूर्व एक सप्ताह आत्म कल्याण को मिला था, उस ने इस छोटे समय का सदुपयोग किया और अभीष्ट लाभ प्राप्त कर लिया। बाल्मीकि के जीवन का एक बड़ा भाग, लूट, हत्या, डकैती आदि करने में व्यतीत हुआ था वे संभले तो वर्तमान जीवन में ही महान ऋषि हो गये। गणिका जीवन भर वेश्या वृत्ति करती रही, सदन कसाई, अजामिल, आदि ने कौन से दुष्कर्म नहीं किये थे। सूरदास को अपनी जन्म भर की व्यभिचारी आदतों से छुटकारा मिलते न देखकर अन्त में आंखें फोड़ लेनी पड़ी थी, तुलसीद...