गायत्री शक्तिपीठ अमरकंटक में ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ की प्राण प्रतिष्ठा
अमरकंटक, अनूपपुर। मध्य प्रदेश
विंध्य और सतपुड़ा पहाड़ियों की पर्वत शृंखला में स्थित अमरकंटक व्यास और भृगु जैसे महान ऋषियों की तप:स्थली है। यह मात्र माँ नर्मदा का उद्गम स्थल नहीं है, यहाँ से सूक्ष्म जगत में दिव्य प्राणधारा भी प्रवाहित होती है, जो मध्य भारत और पश्चिमी भारत के करोड़ों लोगों के संस्कार और विचारों का पोषण करती है। युगऋषि परम पूज्य गुरूदेव ने अमरकंटक में शक्तिपीठ की स्थापना कराने का निर्देश देकर समय की माँग के अनुरूप इस दिव्य तीर्थ को अनुप्राणित किया था, अब उनके मानसपुत्र उस प्राणधारा को प्रखर और प्राणवान बना रहे हैं।
आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी 31 दिसम्बर को अमरकंटक पहुँचे। उन्होंने वहाँ गायत्री शक्तिपीठ में ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ की प्राण प्रतिष्ठा की, अखण्ड अग्नि की स्थापना की एवं श्रीराम सत्संग भवन व साहित्य स्टॉल का लोकार्पण किया।
गायत्री शक्तिपीठ में प्राण प्रतिष्ठा-लोकार्पण आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी गायत्री शक्तिपीठ पहुँचे। शक्तिपीठ व्यवस्थापक श्री विष्णुभाई पण्ड्या, श्रीमती ताराबेन पण्ड्या, किरीट पण्ड्या, श्री के.एन. जोशी, श्री जे.पी. सिंह आदि गायत्री परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं सहित समीपवर्ती चार जिलों के कार्यकर्त्ताओं ने बड़े जोश और उत्साह के साथ उनका स्वागत किया। डॉ. चिन्मय जी ने सभी की कुशलक्षेम जानी, तत्पश्चात् माँ गायत्री, माँ दुर्गा, माँ महालक्ष्मी और नर्मदा मैया का पूजन करने के बाद उन्होंने ‘प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा’ की प्राण प्रतिष्ठा की। उन्होंने नवनिर्मित यज्ञशाला में अखण्ड अग्नि की स्थापना की तथा साहित्य स्टॉल सहित नए बनाए भवनों का लोकार्पण भी किया।
तीर्थ पुरोहितों ने दिया विशिष्ट सम्मान:
शान्तिकुञ्ज के वरिष्ठ प्रतिनिधि के आगमन पर माँ नर्मदा के उद्गम स्थल में निर्मित माँ नर्मदा मंदिर के पुरोहितों ने उनका भावभरा स्वागत किया। उन्हें विशिष्ट सम्मान देते हुए गर्भगृह में पूरे विधि-विधान के साथ दर्शन-पूजन कराया। तीर्थ पुरोहितों ने अमरकंटकेश्वर महादेव में अभिषेक भी करवाया।
Recent Post
रचनात्मक एवं संघर्षात्मक कदम उठाने होंगे
नया युग लाने के लिए धरती पर स्वर्ग का अवतरण करने के लिए-सतयुग की पुनरावृत्ति आँखों के सामने देखने के लिए-हमें कुछ अधिक महत्त्वपूर्ण, दुस्साहस भरे रचनात्मक एवं संघर्षात्मक कदम उठाने होंगे। शत-सूत्री...
हम बदलेंगे युग बदलेगा
बड़े आदमी बनने की हविस और ललक स्वभावतः हर मनुष्य में भरी पड़ी है। उसके लिये किसी को सिखाना ही पड़ता। धन, पद, इन्द्रिय सुख, प्रशंसा, स्वास्थ्य आदि कौन नहीं चाहता? वासना और तृष्णा की पूर्ति में कौन व...
परिजनों को परामर्श
अपना विशाल परिवार हमने एक ही प्रयोजन के लिये बनाया और सींचा है कि विश्व-मानव की अन्तर्वेदना हलकी करने में और रुदन, दरिद्र, जलन से बचाने के लिये कुछ योगदान सम्भव हो सके, पेट और प्रजनन की कृमि कीटकों...
जमाना तेजी से बदलेगा
हमारा पहला परामर्श यह है कि अब किसी को भी धन का लालच नहीं करना चाहिए और बेटे-पोतों को दौलत छोड़ मरने की विडम्बना में नहीं उलझना चाहिये। यह दोनों ही प्रयत्न सिद्ध होंगे। अगला जमाना जिस तेजी से बदल र...
ईश्वरीय अनुग्रह के अधिकारी
परमार्थ प्रवृत्तियों का शोषण करने वाली इस विडम्बना से हम में से हर एक को बाहर निकल आना चाहिए कि “ईश्वर एक व्यक्ति है और वह कुछ पदार्थ अथवा प्रशंसा का भूखा है, उसे रिश्वत या खुशामद का प्रलोभन ...
मोहग्रस्त नहीं विवेकवान
पहले ही कहा जा चुका है कि परिवार के प्रति हमें सच्चे अर्थों में कर्तव्यपरायण और उत्तरदायित्व निर्वाह करने वाला होना चाहिये आज मोह के तमसाच्छन्न वातावरण में जहां बड़े लोग छोटों के लिये दौलत छोड़ने क...
परिजनों को परामर्श
हमारा चौथा परामर्श यह है कि पुण्य परमार्थ की अन्तः चेतना यदि मन में जागे तो उसे सस्ती वाहवाही लूटने की मानसिक दुर्बलता से टकरा कर चूर-चूर न हो जाने दिया जाय। आमतौर से लोगों की ओछी प्रवृत्ति नामवरी ...
युग-परिवर्तन के लिए चतुर्मुखी योजना
लोभ और मोह के बंधन काटने और अज्ञान प्रलोभन से ऊंचा उठाने पर ही जीवनोद्देश्य पूरा कर सकने वाले-ईश्वरीय प्रयोजन एवं युग पुकार के पूरा कर सकने वाले मार्ग पर चल सकते हैं सो इसके लिये हमें आवश्यक साहस ज...
योजना का दूसरा चरण संगठनात्मक
योजना का दूसरा चरण संगठनात्मक है। भीड़ का संगठन बेकार है। मुर्दों का पहाड़ इकट्ठा करने से तो बदबू ही फैलेगी। जिनके मन में कसक है जो वस्तुस्थिति को समझ चुके है उन्हीं का एक महान् प्रयोजन के लिए एकत्...
‘युगसेना’ का गठन
दुष्टता की दुष्प्रवृत्तियाँ कई बार इतनी भयावह होती है कि उनका उन्मूलन करने के लिये संघर्ष के बिना काम ही नहीं चल सकता। रूढ़िवादी, प्रतिक्रिया वादी, दुराग्रही मूढ़मति अहंकारी, उद्दण्ड निहित स्वार्थ ...