सच हो रही है युग द्रष्टा, युग स्रष्टा ऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी की भविष्यवाणी
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/1529/Photo.png)
सन् 1926 से ही युग परिवर्तन का ताना-बाना
बुन रहे इस युग के वशिष्ठ-विश्वामित्र, गायत्री के पुनरूद्धारक ऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने यह उद्बोधन सन् 1985 में दिया था, जो यू-ट्यूब पर उपलब्ध है। सुनने के लिए लॉगिन कीजिए:-
https://youtu.be/XHQKzAa_dbKc?sl=bhMY4BexXUZUd3Db
चोखे व्यक्ति आएँगे अगले दिनों बड़ी-बड़ी क्रांतियाँ खड़ी होंगी और उनका किसी को नेतृत्व करना चाहिए। राजनीतिक क्रान्ति में प्रजातंत्र का ढाँचा तो यही रहेगा, पर व्यक्ति ऐसे आएँगे, जिनके बारे में आपको शिकायत नहीं करनी पड़ेगी।
आपको यह नहीं कहना पड़ेगा कि अगर गाँधी जी रहे होते तो हिन्दुस्तान का हाल यह न होता। आपको यह नहीं कहना पड़ेगा कि जवाहरलाल होते तो परिस्थितियाँ ऐसी न होतीं। सरदार पटेल होते तो हमारे देश की यह हालत क्यों होती, आपको यह नहीं कहना पड़ेगा। राजनीतिक ढाँचा हमारा ऐसा बनेगा, ऐसा सुन्दर बनेगा जिसको देखकर सारी दुनिया यह कहे कि ऐसा ढाँचा तो कहीं भी नहीं है, किसी भी देश में नहीं है।
सामाजिक क्रांतियाँ होगी और क्या करना है? सारी की सारी कमजोरी हमारी सामाजिक है। हम 2000 वर्ष तक गुलाम रहे, इसलिए नहीं रहे कि हमारे पास सिपाही कम थे, सेना कम थी, हमारे पास लड़ने वाले कम थे या हमारे देश के ऊपर हमला करने वालों की तादात ज्यादा थी।
नहीं यह बातें नहीं थीं, केवल एक ही बात थी कि हमारा सामाजिक ढाँचा कमजोर था। इतना कमजोर था कि उसकी वजह से ज्यादा होते हुए भी कम होने वालों से हम गए बीते निकले और हम 2000 वर्ष तक गुलाम रहे। 2000 वर्ष तक कोई भी देश गुलाम नहीं रहा है। जापान गुलाम हुआ है, इटली गुलाम हुआ है, जर्मनी गुलाम हुआ है, कई और देशों को दूसरे विश्व युद्ध में गुलाम होना पड़ा है, पर इतने लंबे 2000 वर्ष तक कोई देश गुलाम नहीं रहा। इसका कारण क्या था? इसका एक ही कारण यह था कि हमारी सामाजिक परिस्थितियाँ बड़ी कमजोर थीं। हम बड़े छिन्न-भिन्न थे, बड़े अस्त- व्यस्त थे।
नारी शशक्तिकरण सामाजिक क्रांति होगी। सौ फीसदी सामाजिक क्रांति होगी। आप विश्वास रखिए कि जिन-जिन कमजोरियों की वजह से हिंदुस्तान दुर्बल हुआ था, वह सारी की सारी कमजोरियाँ दूर होकर रहेंगी। हमारे यहाँ स्त्रियों को घूँघटों में, पर्दे में बंद करके रखा जाता है, तो 70 करोड़ में से 35 करोड़ रह गए। 35 करोड़ तो ऐसे हैं जिस तरह से डिब्बे में चिड़ियाएँ बैठी रहती हैं, बकरियाँ बाड़े में बंद रहती हैं। क्या यह स्थिति बदल जाएगी? बदल जाएगी। स्त्रियाँ पुरूषों के कंधों से कंधा मिलाकर काम करेंगी और देश को उठाने में पूरा योगदान देंगी। यह हमारी सामाजिक क्रान्ति होगी।
और छुआछूत, यह वंश की वजह से बड़े आदमी होते हैं? नहीं, वंश की वजह से बड़े आदमी नहीं होंगे और वेश की वजह से महात्मा नहीं होंगे। इसकी भी एक क्रांति होगी। भिक्षा व्यवसाय रहेगा? नहीं, जैसे 60 लाख लोगों ने व्यवसाय बना लिया है अपना और वे रंगीन कपड़े पहन लेते हैं, कोई पाखंड खड़ा कर लेते हैं और लोगों को ठगते रहते हैं, अपना पेट भरते रहते हैं।
यह स्थितियाँ बनी नहीं रहेंगी? नहीं, इसमें क्रांति होगी। हमारी जाति-वंश परंपरा में समानता आएगी। हमारे स्त्री और पुरूषों के बीच में समानता आएगी। हमारे देश में संत तो होंगे, पर कोई यह आवश्यक नहीं है कि वह पेशेवर होंगे, व्यवसाय करेंगे। जैसे आप में से भी संत हो सकते हैं, आप में से भी महात्मा हो सकते हैं।
समाचार पत्रों में क्रांति होगी, फिल्मों में क्रांति होगी, साहित्य में क्रांति होगी, शिक्षा में क्रांति होगी और मजदूरी में भी क्रांति होगी, बेरोजगारी में भी क्रांति होगी। आज तो बड़े-बड़े मिल और बड़े-बड़े उद्योग सारा का सारा पैसा अपनी जेब में रखे हुए हैं और लाखों आदमी, करोड़ों आदमी बीमार पड़ रहे हैं। उद्योग धंधों की भी ऐसी क्रांति होगी कि बड़े शहर कस्बों में बदल जाएँगे। गाँव कस्बों के रूप में बदल जाएँगे। बीच की इकाई कस्बे के रूप में होंगी।
यह बातें हो जाएँगी? बिल्कुल हो जाएँगी, आप लिखकर रखिये, मैं कह तो रहा हूँ आपसे। बहकाता हूँ आपको? नहीं! नहीं!! जो मुझे प्रत्यक्ष आँखों से दिखाई पड़ रहा है, केवल उसी का जिक्र कर रहा हूँ, आपसे और कोई बात नहीं कर रहा हूँ।
Recent Post
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3757/Screenshot from 2024-07-26 10-09-53.png-HRleXeS4ZJts93)
दिनभर चले कार्यक्रम से हजारों राहगीरों को दिया संदेश
उज्जैन। मध्य प्रदेश
से होने वाले व्यक्तिगत, सामाजिक अदनी-सी तम्बाकू की गुलामी लाभों की जानकारी दी और उन्हें एक संकल्प से छूट सकती है।’ नशे से मुक्त होने के लिए प्रेरित इस संदेश के साथ...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3718/1.jpeg-iWn513WFgekq93)
देसंविवि के नवीन शैक्षणिक सत्र का श्रीगणेश
ज्ञानदीक्षा ज्ञान के उदय का पर्व ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
हरिद्वार 22 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज का 44वाँ ज्ञानदीक्षा समारोह उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ मु...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3715/GM 222 (2).jpg-YVBJe1ECsWx2k)
Yug Parivartan Ka Aadhar युग परिवर्तन का आधार भावनात्मक नव निर्माण (अंतिम भाग)
जाति या लिंग के कारण किसी को ऊँचा या किसी को नीचा न ठहरा सकेंगे, छूत- अछूत का प्रश्न न रहेगा। गोरी चमड़ी वाले लोगों से श्रेष्ठ होने का दावा न करेंगे और ब्राह्मण हरिजन स...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3714/hamari Part 17A (1).jpg-Hd-G1H43bMW62)
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग १)
आदत पड़ जाने पर तो अप्रिय और अवांछनीय स्थिति भी सहज और सरल ही प्रतीत नहीं होती, प्रिय भी लगने लगती है। बलिष्ठ और बीमार का मध्यवर्ती अन्तर देखने पर यह प्रतीत होते देर नहीं लगती कि उपयुक्त एवं अनुपयुक...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3713/mashal.png-_g2dBckpkkdo93)
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग २)
यदि वर्तमान परिस्थिति अनुपयुक्त लगती हो और उसे सुधारने बदलने का सचमुच ही मन हो तो सड़ी नाली की तली तक साफ करनी चाहिए। सड़ी कीचड़ भरी रहने पर दुर्गन्ध और विषकीटकों से निपटने के छुट पुट उपायों से कोई स्...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3712/G_1.jpg-gGNtrjzhHUx2k)
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ३)
युग परिवर्तन या व्यक्ति परिवर्तन के लिए व्यक्तिगत दृष्टिकोण और समाजगत प्रवाह प्रचलन को बदलने की बात कही जाती है। उसे समन्वित रूप से एक शब्द में कहा जाय तो प्रवृत्तियों का परिवर्तन भी कह सकते हैं। ल...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3711/GM (094) (1).jpg-16rW_Tuzb7do93)
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ४)
भटकाव से भ्रमित और कुत्साओं से ग्रसित व्यक्ति ऐससी ललक लिप्साओं में संलग्न रहता है जिन्हें दूरदर्शिता की कसौटी पर कसने से व्यर्थ निरर्थक एवं अनर्थ की ही संज्ञा दी जा सकती है। पेट प्रजनन इतना कठिन न...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3710/GM (079).jpg-b8sFoufKfTx2k)
हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ५)
स्पष्ट है कि आजीविका का एक महत्वपूर्ण जनुपात अंशदान के रूप सृजन कृत्यों के लिए नियोजित करने की आवश्यकता पड़ेगी। इतना ही नहीं श्रम, समय भी इसके साथ ही देना पड़ेगा। अस्तु न केवल आजीविका का एक अंश वरन स...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3709/guruji (1) (1).jpg-IHG88k36GQx2k)
हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (अंतिम भाग)
इस तथ्य से सभी अवगत है कि खर्चीली शादियाँ हमें दरिद्र और बेईमान बनाती हैं। धूमधाम, देन दहेज की शादियों का वर्तमान प्रचलन देखने में हर्षोत्सव की साज सज्जा जैसा भले ही प्रतीत होता हो किन्तु वस्तुतः उ...
युग निर्माण योजना
युग निर्माण योजना की सबसे बड़ी संपत्ति उस परिवार के परिजनों की निष्ठा है, जिसे कूटनीति एवं व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के आधार पर नहीं, धर्म और अध्यात्म की निष्ठा के आधार पर बोया, उगाया और बढ़ाया गया...