पत्नी का सदैव सम्मान कीजिए
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/1854/Part 5_2.jpg)
बहुत से व्यक्ति अपने को स्त्री से बड़ा समझकर अथवा लापरवाही से-अपनी पत्नियों के साथ शिष्टता का व्यवहार करना अनावश्यक समझते हैं, पर एक बडी़ भूल है। जो लोग अपने दाम्पत्य जीवन को सफल बनाने के इच्छुक हों उनको सदैव अपनी पत्नी के प्रति सम्मानयुक्त व्यवहार और वार्त्तालाप करना चाहिए। जो पुरुष उससे कठोर व्यवहार करते हैं, अपनी आश्रित समझकर तिरस्कार करते हैं, उनकी बेइज्जती करते रहते हैं, वे अश्लील हैं । गुप्त मन में उनकी स्त्रियाँ उन्हें दुष्ट राक्षसतुल्य समझती हैं। ऐसा प्रसंग ही मत आने दीजिए कि नारी को मारने-पीटने का अवसर आए। उसे अपने आचार, व्यवहार, प्रेम भरे सबोंधन से पूर्ण संतुष्ट रखिए।
पत्नी की भावनाओं की रक्षा, उसके गुणों का आदर, उसके शील, लज्जा, व्यवहार की प्रशंसा मधुर संबंधों का मूल रहस्य है। पत्नी आपकी जीवनसहचरी है। अपने सद्व्यवहार से उसे तृप्त रखिए।
पत्नी, पति की प्राण है, पुरुष की अर्द्धांगिनी है, पत्नी से बढ़कर कोई दूसरा मित्र नहीं पत्नी तीनों फलों- धर्म, अर्थ, काम को प्रदान करने वाली है और पत्नी संसार-सागर को पार करने में सबसे बड़ी सहायिका है। फिर किस मुँह से आप उसका तिरस्कार करते हैं?
उससे मधुर वाणी में बोलिए । आपके मुँह पर मधुर मुस्कान हो, हृदय मे सच्चा निष्कपट प्रेम हो, वचनों में नम्रता, मृदुलता, सरलता और प्यार हो। स्मरण रखिए, स्त्रियों का 'अहं' बडा़ तेज होता है, वे स्वाभिमानी, आत्माभिमानी होती हैं। तनिक सी अशिष्टता या फूहड़पन से क्रुद्ध होकर आपके संबंध में घृणित धारणाएँ बना लेती हैं। उनकी छोटी-मोटी माँगों या फरमाइशों की अवहेलना या अवज्ञा न करें। इसमें बड़े सावधान रहें। जो स्त्री एक छोटे से उपहार से प्रसन्न होकर आपकी दासता और गुलामी करने को प्रस्तुत रहती है, उसके लिए सब कुछ करना चाहिए। अत: पत्नी का आदर करें, उसके संबंध में कभी कोई अपमानसूचक बातें? मुँह से न निकालें और उनकी उपस्थिति में या अनुपस्थिति में या उनकी हँसी न करें।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
गृहलक्ष्मी की प्रतिष्ठा
Recent Post
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3757/Screenshot from 2024-07-26 10-09-53.png-HRleXeS4ZJts93)
दिनभर चले कार्यक्रम से हजारों राहगीरों को दिया संदेश
उज्जैन। मध्य प्रदेश
से होने वाले व्यक्तिगत, सामाजिक अदनी-सी तम्बाकू की गुलामी लाभों की जानकारी दी और उन्हें एक संकल्प से छूट सकती है।’ नशे से मुक्त होने के लिए प्रेरित इस संदेश के साथ...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3718/1.jpeg-iWn513WFgekq93)
देसंविवि के नवीन शैक्षणिक सत्र का श्रीगणेश
ज्ञानदीक्षा ज्ञान के उदय का पर्व ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
हरिद्वार 22 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज का 44वाँ ज्ञानदीक्षा समारोह उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ मु...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3715/GM 222 (2).jpg-YVBJe1ECsWx2k)
Yug Parivartan Ka Aadhar युग परिवर्तन का आधार भावनात्मक नव निर्माण (अंतिम भाग)
जाति या लिंग के कारण किसी को ऊँचा या किसी को नीचा न ठहरा सकेंगे, छूत- अछूत का प्रश्न न रहेगा। गोरी चमड़ी वाले लोगों से श्रेष्ठ होने का दावा न करेंगे और ब्राह्मण हरिजन स...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3714/hamari Part 17A (1).jpg-Hd-G1H43bMW62)
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग १)
आदत पड़ जाने पर तो अप्रिय और अवांछनीय स्थिति भी सहज और सरल ही प्रतीत नहीं होती, प्रिय भी लगने लगती है। बलिष्ठ और बीमार का मध्यवर्ती अन्तर देखने पर यह प्रतीत होते देर नहीं लगती कि उपयुक्त एवं अनुपयुक...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3713/mashal.png-_g2dBckpkkdo93)
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग २)
यदि वर्तमान परिस्थिति अनुपयुक्त लगती हो और उसे सुधारने बदलने का सचमुच ही मन हो तो सड़ी नाली की तली तक साफ करनी चाहिए। सड़ी कीचड़ भरी रहने पर दुर्गन्ध और विषकीटकों से निपटने के छुट पुट उपायों से कोई स्...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3712/G_1.jpg-gGNtrjzhHUx2k)
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ३)
युग परिवर्तन या व्यक्ति परिवर्तन के लिए व्यक्तिगत दृष्टिकोण और समाजगत प्रवाह प्रचलन को बदलने की बात कही जाती है। उसे समन्वित रूप से एक शब्द में कहा जाय तो प्रवृत्तियों का परिवर्तन भी कह सकते हैं। ल...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3711/GM (094) (1).jpg-16rW_Tuzb7do93)
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ४)
भटकाव से भ्रमित और कुत्साओं से ग्रसित व्यक्ति ऐससी ललक लिप्साओं में संलग्न रहता है जिन्हें दूरदर्शिता की कसौटी पर कसने से व्यर्थ निरर्थक एवं अनर्थ की ही संज्ञा दी जा सकती है। पेट प्रजनन इतना कठिन न...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3710/GM (079).jpg-b8sFoufKfTx2k)
हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ५)
स्पष्ट है कि आजीविका का एक महत्वपूर्ण जनुपात अंशदान के रूप सृजन कृत्यों के लिए नियोजित करने की आवश्यकता पड़ेगी। इतना ही नहीं श्रम, समय भी इसके साथ ही देना पड़ेगा। अस्तु न केवल आजीविका का एक अंश वरन स...
![](https://s3.ap-south-1.amazonaws.com/awgp.org/public_data/gurukulam/post/3709/guruji (1) (1).jpg-IHG88k36GQx2k)
हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (अंतिम भाग)
इस तथ्य से सभी अवगत है कि खर्चीली शादियाँ हमें दरिद्र और बेईमान बनाती हैं। धूमधाम, देन दहेज की शादियों का वर्तमान प्रचलन देखने में हर्षोत्सव की साज सज्जा जैसा भले ही प्रतीत होता हो किन्तु वस्तुतः उ...
युग निर्माण योजना
युग निर्माण योजना की सबसे बड़ी संपत्ति उस परिवार के परिजनों की निष्ठा है, जिसे कूटनीति एवं व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के आधार पर नहीं, धर्म और अध्यात्म की निष्ठा के आधार पर बोया, उगाया और बढ़ाया गया...