यज्ञ का पर्यावरण पर प्रभाव
अश्वमेध यज्ञ स्थल पर बार्क के वैज्ञानिकों ने किया अनुसंधान
पिछले अश्वमेध यज्ञोें, देव संस्कृति विश्वविद्यालय में हो रहे अनुसंधानों और अन्यान्य शोधों से यह पता चला है कि यज्ञ से वातावरण में व्याप्त विषाणुओं की संख्या में तथा जल में विद्यमान
बैक्टीरिया और वायरस की संख्या में कमी आती है। मुम्बई में आयोजित अश्वमेध महायज्ञ में इस तथ्य को जानने के लिए विशिष्ट वैज्ञानिक प्रयोग किए गए। यह अनुसंधान भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान, मुम्बई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डी.के. जायसवाल के नेतृत्व में 36 वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया।
आई.आई.टी. मुम्बई के वरिष्ठ इंजीनियर और इक्यूनॉक्स के वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्य में सहयोगी रहे। उनके द्वारा 1008 कुण्डीय यज्ञशाला के मध्य में तथा यज्ञशाला के चारों ओर वायु और जल के विश्लेषण के लिए संयंत्र लगाए गए।
19 फरवरी से प्रयोग प्रारंभ हुए। प्रतिदिन वातावरण में व्याप्त वायु में बैक्टीरिया की सांद्रता मापी गई। जल का भी सैंपल लिया गया, जिसे चार दिन तक यज्ञ के वातावरण में रखा गया और उस पर पड़ने वाले यज्ञ के प्रभाव का विश्लेषण किया गया।
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