गायत्री जयंती-गंगा दशहरा पर्व पर नवचेतना का स्पंदन कराते कुछ विशिष्ट आयोजन
भरतपुर-अलवर संभाग के हर प्रज्ञा केन्द्र में भव्य कार्यक्रम का आयोजन
अलवर। राजस्थान
भरतपुर-अलवर संभाग के प्राय: सभी शक्तिपीठों, प्रज्ञा केन्द्रों में गायत्री जयंती पर्व बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। बहरोड़, दौसौद, बानसुर, खैरथल, किशनगढ़ बास, तिजारा, टपूकडा, भिवाडी, राजगढ, कठूमर, कुम्हेर, डीग, कामां, बाडाभडकौल, बींजला, नदबई आदि प्रमुख शाखाओं में पाँच से लेकर नौ कुण्डीय यज्ञों के आयोजन हुए। अनेक शाखाओं ने एक से तीन कुण्डीय तक के यज्ञायोजन किए। क्षेत्रीय संवाददाता श्री सतीश सारस्वत ने बताया कि सभी कार्यक्रमों से हजारों लोग लाभान्वित हुए। उन्हें जनजीवन में पवित्रता, प्रखरता का संचार करने वाली दिव्य धाराओं- गंगा और गायत्री के प्रति आस्था बढ़ाते रहने की प्रेरणा दी गई। परम पूज्य गुरूदेव के महाप्रयाण दिवस के उपलक्ष्य में उनके तपस्वी व्यक्तित्व का परिचय देते हुए बताया गया कि वे व्यक्ति नहीं, एक विचार थे। उनके विचारों में जीवन के उत्थान और राष्ट्र के नवनिर्माण के सूत्र समाहित हैं।
108 कुण्डीय यज्ञ का संकल्प
के सानिध्य में यज्ञ संचालन के साथ-साथ डीग जिले के गाँव बावेन (कुम्हेर) में वरिष्ठ गुरूदीक्षा, विवाह दिवस, जन्मदिन, अन्नप्राशन युग निर्माणी पं. श्याम सुंदर शर्मा ने ग्रामीणों संस्कार भी सम्पन्न कराये गये। को गुरू, गायत्री एवं गंगा का महत्त्व समझाया। वार्षिकोत्सव मनाया : एक मास श्रद्धालुओं ने इस वर्ष अपने गाँव में 108 तक क्षेत्र का सघन मंथन किया कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के योजन का नदबई शक्तिपीठ ने चार दिवसीय गायत्री संकल्प लिया। महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण कथा के माध्यम से शक्तिपीठ का वार्षिकोत्सव मनाया, जिसकी
दो दिवसीय पर्वोत्सव मनाया
गायत्री शक्तिपीठ अलवर में दो दिवसीय पूर्णाहुति गायत्री जयंती के दिन हुई। इस समारोह अखंड जप, सायंकाल दीप यज्ञ और कार्यक्रम के लगभग एक माह पूर्व से ही पूरे 9 कुण्डीय यज्ञ के साथ सम्पन्न हुआ। श्री क्षेत्र में घर-घर यज्ञ-दीपयज्ञ की शृंखला चलाई मुरारी लाल शर्मा एवं श्री सतीश बडाया जी जा रही थी।
Recent Post
दिनभर चले कार्यक्रम से हजारों राहगीरों को दिया संदेश
उज्जैन। मध्य प्रदेश
से होने वाले व्यक्तिगत, सामाजिक अदनी-सी तम्बाकू की गुलामी लाभों की जानकारी दी और उन्हें एक संकल्प से छूट सकती है।’ नशे से मुक्त होने के लिए प्रेरित इस संदेश के साथ...
देसंविवि के नवीन शैक्षणिक सत्र का श्रीगणेश
ज्ञानदीक्षा ज्ञान के उदय का पर्व ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
हरिद्वार 22 जुलाई।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुज का 44वाँ ज्ञानदीक्षा समारोह उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारंभ मु...
Yug Parivartan Ka Aadhar युग परिवर्तन का आधार भावनात्मक नव निर्माण (अंतिम भाग)
जाति या लिंग के कारण किसी को ऊँचा या किसी को नीचा न ठहरा सकेंगे, छूत- अछूत का प्रश्न न रहेगा। गोरी चमड़ी वाले लोगों से श्रेष्ठ होने का दावा न करेंगे और ब्राह्मण हरिजन स...
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग १)
आदत पड़ जाने पर तो अप्रिय और अवांछनीय स्थिति भी सहज और सरल ही प्रतीत नहीं होती, प्रिय भी लगने लगती है। बलिष्ठ और बीमार का मध्यवर्ती अन्तर देखने पर यह प्रतीत होते देर नहीं लगती कि उपयुक्त एवं अनुपयुक...
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग २)
यदि वर्तमान परिस्थिति अनुपयुक्त लगती हो और उसे सुधारने बदलने का सचमुच ही मन हो तो सड़ी नाली की तली तक साफ करनी चाहिए। सड़ी कीचड़ भरी रहने पर दुर्गन्ध और विषकीटकों से निपटने के छुट पुट उपायों से कोई स्...
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ३)
युग परिवर्तन या व्यक्ति परिवर्तन के लिए व्यक्तिगत दृष्टिकोण और समाजगत प्रवाह प्रचलन को बदलने की बात कही जाती है। उसे समन्वित रूप से एक शब्द में कहा जाय तो प्रवृत्तियों का परिवर्तन भी कह सकते हैं। ल...
‘‘हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ४)
भटकाव से भ्रमित और कुत्साओं से ग्रसित व्यक्ति ऐससी ललक लिप्साओं में संलग्न रहता है जिन्हें दूरदर्शिता की कसौटी पर कसने से व्यर्थ निरर्थक एवं अनर्थ की ही संज्ञा दी जा सकती है। पेट प्रजनन इतना कठिन न...
हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (भाग ५)
स्पष्ट है कि आजीविका का एक महत्वपूर्ण जनुपात अंशदान के रूप सृजन कृत्यों के लिए नियोजित करने की आवश्यकता पड़ेगी। इतना ही नहीं श्रम, समय भी इसके साथ ही देना पड़ेगा। अस्तु न केवल आजीविका का एक अंश वरन स...
हम बदलेंगे युग बदलेगा’’ सूत्र का शुभारम्भ (अंतिम भाग)
इस तथ्य से सभी अवगत है कि खर्चीली शादियाँ हमें दरिद्र और बेईमान बनाती हैं। धूमधाम, देन दहेज की शादियों का वर्तमान प्रचलन देखने में हर्षोत्सव की साज सज्जा जैसा भले ही प्रतीत होता हो किन्तु वस्तुतः उ...
युग निर्माण योजना
युग निर्माण योजना की सबसे बड़ी संपत्ति उस परिवार के परिजनों की निष्ठा है, जिसे कूटनीति एवं व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के आधार पर नहीं, धर्म और अध्यात्म की निष्ठा के आधार पर बोया, उगाया और बढ़ाया गया...