ऋषियुग्म के पावन स्मारकों के दर्शन और श्रद्धेय द्वय से भेंट
माननीय श्री ओम बिरला जी श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी एवं श्रद्धेया शैल जीजी से भेंट करने शान्तिकुञ्ज आए, उनके साथ सामाजिक उत्थान के अनेक विषयों पर चर्चा हुई। श्रद्धेयद्वय ने उनका मंगल तिलक किया, उन्हें गायत्री महामंत्र का उपवस्त्र ओढ़ाकर एवं युगसाहित्य, भेंटकर सम्मानित किया। माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने विश्व मानवता को आलोकित करने वाले ऋषियुग्म की प्रखर प्राण चेतना ‘अखण्ड ज्योति’ के दर्शन किए, विश्व कल्याण की प्रार्थना की। वे परम पूज्य गुरूदेव एवं परम वंदनीया माताजी के पावन स्मारक ‘प्रखर प्रज्ञा, सजल श्रद्धा’ पर पुष्पांजलि अर्पित करने भी गए।
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धर्म धारणा की व्यवहारिकता
शान्ति के साधारण समय में सैनिकों के अस्त्र-शस्त्र मालखाने में जमा रहते हैं; पर जब युद्ध सिर पर आ जाता है, तो उन्हें निकाल कर दुरुस्त एवं प्रयुक्त किया जाता है। तलवारों पर नये सिरे से धार धरी जाती ह...
जीवन का अर्थ
जीवन का अर्थ है- सक्रियता, उल्लास, प्रफुल्लता। निराशा का परिणाम होता है- निष्क्रियता, हताशा, भय, उद्विग्रता और अशांति। जीवन है प्रवाह, निराशा है सडऩ। जीवन का पुष्प आशा की उष्ण क...
निराशा हर स्थिति से हटे
अनाचार अपनाने पर प्रत्यक्ष व्यवस्था में तो अवरोध खड़ा होता ही है, साथ ही यह भी प्रतीत होता है कि नियतिक्रम के निरंतर उल्लंघन से प्रकृति का अदृश्य वातावरण भी इन दिनों कम दूषित नहीं हो रहा है। भूकम्प...
मौन साधना के सिद्ध साधक- महर्षि रमण
मदुरै जिले के तिरुचुपि नामक एक देहान्त में उत्पन्न वैंकट रमण अपनी ही साधना से इस युग के महर्षि बन गये। आत्मज्ञान उन्होंने अपनी ही साधना से उपलब्ध किया। अठारह वर्ष की आयु में उनने अपना विद्यार्थी जी...
व्यक्तित्व को सुसंस्कृत बनायें
मनुष्य एक अबोध शिशु के रूप में इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। तब न उसमें भला-बुरा सोचने की क्षमता होती है और न किसी तथ्य को समझाने, परिस्थितियों से लाभ उठाने या अपने गुण, कर्म, स्वभाव को परिष्कृत करने ...
ईश्वर के अनुग्रह का सदुपयोग किया जाय
मनुष्य को सोचने और करने की स्वतन्त्रता प्राप्त है। उसका उपयोग भली या बुरी, सही या गलत किसी भी दिशा में वह स्वेच्छापूर्वक कर सकता है। भव बंधन में बँधना भी उसका स्वतन्त्र कर्तृत्व ही है। इसमें माया, ...
सुखद और सरल सत्य ही है
नि:संदेह सत्य का मार्ग उतना कठिन नहीं है। जितना दीखता है। जो वस्तु व्यवहार में नहीं आती, जिससे हम दूर रहते हैं, वह अजनबी, विचित्र तथा कष्टïसाध्य लगती है, पर जब वह समीप आती है, तो वह स्वाभाविक ...
विचार एक मजबूत ताकत
शुभ सात्विक और आशापूर्ण विचार एक वस्तु है। यह एक ऐसा किला है, जिसमें मनुष्य हर प्रकार के आवेगों और आघातों से सुरक्षित रह सकता है। लेकिन मनुष्य को उत्तम विचार ही रखने और अपनी आदत में डालने अभ्यास नि...
अपने ऊपर भरोसा करो!
यदि आप चाहते हैं कि दूसरे लोग आपके ऊपर भरोसा करें तो इसका सबसे सुलभ और सुनिश्चित उपाय यह है कि आप अपने ऊपर भरोसा करें। दुनिया में ऐसे अनेक मनुष्य हैं जिन पर कोई भरोसा नहीं करता, उन्हें गैर जिम्मेदा...
मांस मनुष्यता को त्याग कर ही खाया जा सकता है
करुणा की प्रवृत्ति अविछिन्न है। उसे मनुष्य और पशुओं के बीच विभाजित नहीं किया जा सकता। पशु-पक्षियों के प्रति बरती जाने वाली निर्दयता मनुष्यों के साथ किये जाने वाले व्यवहार को भी प्रभावित करेगी। जो म...