भेड़ों के झुण्ड में पले सिंह-शावक की कथा हम सभी को अच्छे से विदित है। अपने इर्द -गिर्द का वातावरण और प्रचलन हमें जर्बदस्ती गलत दिशा में चलने को मजबूर कर देते हैं। पर जब आत्मबोध होता है, अन्तः करण की ऊर्जा-सामर्थ्य का जागरण होता है तो ‘‘मनुष्य भटका हुआ देवता है’’ की उक्ति ही चरितार्थ होती दीख पड़ती है। यह भटकाव दूर होते ही सारी समस्याओं का हल निकल आता है।
अचित्य चिंतन वश हमसे जो भूल हो गयी है, दिशाभ्रम पैदा हो गया है उसे दूर करने का साधन है- ‘‘अन्तः ऊर्जा जागरण सत्र’’। मनुष्य की जीवन दिशा को बदल देने वाला यह सत्र मुनस्यारी और टिहरी में तो चल ही रहा है। पर बढ़ती माँग को देखकर इस वर्ष से इसे शान्तिकुञ्ज में भी पुनः प्रारम्भ किया जा रहा है।
2019-20 सत्र की तिथियाँ निम्न हैः-
नवम्बर 2019 - 06 से 10, 11 से 15, 16 से 20, 21 से 25, 26 से 30
दिसम्बर 2019 - 01 से 05, 06 से 10, 11 से 15, 16 से 20, 21 से 25
जनवरी- 2020 - 06 से 10, 11 से 15, 16 से 20, 21 से 25 (29 बसंत पर्व)
फरवरी- 2020 - 06 से 10, 11 से 15, 16 से 20, 21 से 25, 26 से 01 मार्च
Minimum Requirement:
1. Must have participated into 9 days shivir of Shantikunj .
2. Active participation in the activities of Mission .
3. Must needs to follow specified discipline.
4. Sadhak who have already attended Munsiyari Sadhana satra will not be allowed for this shivir.
How to apply:
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Phone :
call us on
Mobile: 9258369749, 9258360655
91-1334- 260602 Extn# 187, 188
*Please note, after receiving the application, an authorities will take decision and send confirmations. Even after approvals, if the participant failed to meet the requirement/discipline of course (satra) then he/she shall not be permitted for the course.
Disciplines & Process:
1. The course (satra) will be very different for all other satra. The discipline & instruction of Sadhana will be difficult.
2. One need to stay alone in the room during the course.
3. One need to perform all his/her routine work by own including washing, cleaning etc.
4. One needs to silent & introvert till end of sadhana .
5. Need to follow specified instruction of sadhana and swadhyay (study). Rest of the time for going deep into inner concise & holy concise it is suggested to perform deep introvertive self-inspection. Other study materials like newspapers etc will not be available.
6. Food, holy ganges water & pragya drink will be served in the room 2 times per day. The served food contain one chapati, chatni of herbs, rice or dalia . No other food will be allowed.
7. No restriction on number of JAP (chanting of Mantra). The focus will be on the deeper of meditation rather number of chanting. The special sadhana would complete in around 6 hours. Both time, the recorded audio will be played for 20 minutes followed by self inspection on what heard. Approximately it will be 2 hrs of time for Swadhyay (study of books) and its introspections. The time remain after sleep, daily routine , food etc would require to involved for self inspection and Jap .
8. After completion of Sadhana , you will summarise in writing the inner-experience, feeling and emerged resolution. A duly Formal resolution will be conducted religiously after completion of Satra.
Dont:
1. Do not bring someone who can not stay alone (like kid etc) or need attention from us.
2. Someone suffering from disease is discouraged for this satra.
अर्हताएँ-
यह सत्र सामान्य सत्रों से भिन्न होंगे। साधना के अनुशासन काफी कड़े होंगे। इसलिए हर किसी को प्रवेश देना उचित एवं संभव नहीं होगा।
आयु सीमा- 20 से 40 वर्ष तक रखी गई है।
प्राप्त आवेदनों की जाँच और कड़ी समीक्षा के बाद ही स्वीकृति भेजी जाएगी। फिर भी यदि सत्र के लिए पहुँचे किसी प्रतिभागी को सत्र के कड़े अनुशासन का पालन करने में अक्षम समझा गया, तो उन्हें इन सत्रों में शामिल नहीं किया जायेगा। अस्तु आवेदन करने वाले साधक-साधिकाएँ अपने आपको भली प्रकार तौलकर ही आवेदन करें। अपने सभी कार्य स्वयं ही करने होंगे।
जो साधक शान्तिकुञ्ज में चलने वाला नौ दिवसीय सत्र सम्पन्न कर चुके हों एवं मिशन की गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हों तथा निर्धारित अनुशासन निभा सकें, वे ही आवेदन करें।
अपने साथ किसी ऐसे साथी को न लायें, जिसे अलग न ठहराया जा सके अथवा उसकी देखभाल की चिंता करनी पड़े। गम्भीर व्याधि से ग्रस्त कोई परिजन आवेदन न करें।
साधना प्रारम्भ होने से समापन तक साधकों को मौन, एकांत सेवन करते हुए अंतर्मुखी रहना होगा। केवल अखण्ड दीप दर्शन एवं यज्ञ के समय कक्ष से बाहर निकल सकेंगे।
ध्यातव्यः-
अपने अंदर की बुराईयों को ढूँढ़ निकालना, उसकी तह तक जाना, उन्हें निकाल बाहर करना और उनके स्थान पर दिव्य गुणों का प्रत्यारोपण प्रचण्ड पुरुषार्थ का विषय है। अतः साधक स्तर के परिजन ही आवेदन भेजें। बूढ़े-बीमारों को अनुमति नहीं है।
सम्पर्क सूत्र-
शिविर विभाग, शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार (उत्तराखंड)
मोबाइल नं- - 9258369749, 9258360655
ईमेल- shivir@awgp.org