दाम्पत्य प्रबंधन सत्र में मुख्यतः आत्मीयता के विकास-विस्तार, श्रद्धा-सौजन्य, समता-वफादारी जैसे सूत्रों को सरलीकृत कर आप सबों के सामने परोसा जायेगा। आपके गृहस्थ जीवन की नाव आनंदपूर्वक निरंतर आगे बढ़ती चले, आपके द्वारा विकसित नयी पीढ़ी का जीवन उल्लास-उत्साह से परिपूर्ण हो सके, प्रगतिपथ पर वे निरंतर आगे बढ़ते रह सकें, ऐसा हमारा प्रयास रहेगा।
हर मनुष्य में, पति में और पत्नी-बच्चों तथा परिवार के अन्य सदस्यगणों में भी मनुष्योचित दुर्बलतायें एवं त्रुटियाँ रहती ही हैं। ये कमियाँ-त्रुटियाँ मात्र हमें दुःख देने के लिए ही नहीं हैं वरन् कुशल नियंता द्वारा हमारे व्यक्तिगत विकास हेतु सावधानीपूर्वक हम सबों के पारिवारिक जीवन में आरोपित की गयी होती हैं। हमारी व्यक्तिगत, पारिवारिक सभी समस्यायें हमें दक्ष, संवेदनशील एवं विकासवान बनाने हेतु ईश्वरीय प्रश्नपत्र हैं। जिनके उत्तर ढूँढ़ते, आगे बढ़ते हुए हम ईश्वर तक, आनंद के मूल स्रोत तक जा पहुँचते हैं।
हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप आत्मीयता, समर्पण, एकता और समता-ममता जैसे दिव्य गुणों को धारण करने की मानसिकता के साथ इस सत्र में भागीदारी करेंगे और लाभ उठायेंगे।
हमारी मंगल कामनायें है कि आपका परिवार स्वर्ग बनें। शान्ति, प्रसन्नता, प्रफुल्लता, संतुष्टि, सरसता और भौतिक सुविधायें भी ईश्वरीय अनुकम्पा के रूप में आपको निरंतर प्राप्त होती रहे।
आपकी बहिन (शैलबाला पण्ड्या)
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