नौ दिवसीय जीवन साधना सत्र अनुशासन
1. साधना काल में पूरे नौ दिन तक पीले परिवेश में ही रहें। कभी पैंट, पैजामा आदि न पहनें।
2. जब भी कमरे से बाहर निकले, परिचय पत्र लगाकर रखें । परिचय पत्र पन्नी पर न लगाकर कार्ड होल्डर में लगाये, कार्ड होल्डर बुक स्टॉल में मिलता है।
3. महिलायें साड़ी, लड़कियाँ पीला सलवार सूट पहने, सादगी से रहे। अनावश्यक श्रृंगार न करें गायत्री मंत्र चादर सभी को ओढऩा अनिवार्य है।
4. महिला एवं पुरुष साधकों की आवास व्यवस्था अलग-अलग की जाती है। अत: घर से ही ऐसी व्यवस्था बनाकर आयें। महिला, पुरुष एक दूसरे के कमरे में न जाये। बहुत आवश्यक होने पर आवाज देकर बाहर बुलाकर बात करें। अपने मिलने वालों को कमरे में न बुलाये, स्वयं बाहर जाकर मिलें।
5. एक कमरे में कई लोग रहते हैं, अत: कोई भी व्यक्ति ताला न लगाये। सुरक्षा हेतु अपना कीमती सामान, नकद पैसा अमानत कक्ष में जमा कर दें। कार्यक्रम में जाने से पहले पंखा, बल्ब, नल आदि देख ले। सभी स्विच ऑफ कर दें, नल बंद कर दें। बिजली, पानी की बचत करें।
6. प्रात: काल जागरण से लेकर रात्रि शयन तक निर्धारित सभी कार्यक्रमों में भाग लें। प्रत्येक कार्यक्रम में निश्चित समय से पहले पहूँचे। तीनों समय का ध्यान, प्रवचन एवं समूह जप प्रवचन हॉल में होता है। अत: और कहीं न बैठें।
7. प्रात: जागरण से लेकर यज्ञ एवं अखण्ड दीप दर्शन करने तक मौन रहें। बहुत आवश्यक होने पर संकेत से काम चलायें अथवा अत्यन्त धीमें स्वर में बात करें।
8. समाचार पत्र न पढे और न खरीदर कमरे में ले जाये। नौ दिन तक मन को पूरी तरह साधनामय बनाकर रखें।
9. दिन में भी खाली समय पर घरेलू, व्यापार, राजनीति जैसी चर्चा न करें। बातचीत करे भी तो मिशन की, गुरुदेव माताजी की अथवा जो प्रवचन सुना हैं उस पर चर्चा करें।
10. सत्र में प्रवेश के समय मोबाइल जमा करना अनिवार्य है, इस नियम का उल्लंघन करने पर शिवर से बाहर किया जा सकता है।
11. 9 दिनों तक डिजिटल उपवास करें|
12. खाने, पीने का कोई भी सामान कमरे में न ले जायें। यदि घर से बनाकर कुछ लाये हैं तो उसे भी बाहर जाकर खायें, कमरे में बिल्कुल न खायें।
13 .हर शिविर में एक दिन अवकाश दिया जाता है। यह अवकाश प्रात: 10 बजे से सायं 05 बजे तक ही होता है। अन्य विशेष जानकारी मंच से दी जाती हैं।
14. आदरणीय दीदी एवं श्रद्धेय डॉ. साहब से व्यवस्था के अन्तर्गत मिलाया जाता है, कोई भी अपने आप मिलने न जाये । इसकी जानकारी भी मंच से दी जायेगी।
15. स्वच्छता, सुव्यवस्था एवं शालीनता का पूरा ध्यान रखें। नित्यप्रति अपने कमरे, स्न्नानगृह, शौचालय, छज्जे व गलियारे की सफाई करें। परिसर की स्वच्छता बनाये रखें।
16. साधक बनकर रहें। कोई भी ऐसा व्यवहार नहीं करें जो शान्तिकुञ्ज की गरिमा-प्रतिष्ठा के प्रतिकुल हो।
17. साधकों की संख्या अधिक होने पर प्रत्येक कमरे में 08 से 09 लोगों को ठहराया जाता है। अत: इसमें सहयोग करें।
18. रात्रि 09 बजे तक अपने आवास पर पहुँच जायें। 09 बजे गेट पर ताला बंद कर दिया जाता है।
नियमों को कड़ाई के साथ पालन करें। नियम तोडऩे पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।