Magazine - Year 1971 - Version 2
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VigyapanSuchana
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विदाई सम्मेलन के साथ आदर्श विवाह भी
विदाई सम्मेलन के अवसर पर आदर्श विवाहों का भी आयोजन रहेगा। विवाहोन्माद उन्मूलन का आन्दोलन अगले दिनाँक बहुत तीव्र गति से चलाया जाना है अपने परिवार के हर सदस्य को यह कहा जायेगा कि वह बिना बेकार के बहाने बनाये-बिना घर कुटुम्ब वाले दकियानूसी की आड़ लिये-बिना दहेज और बिना खर्च की आदर्श शादियाँ करने के लिये आवश्यक साहस एकत्रित करें और कदम बढ़ावें। यों यह आन्दोलन बहुत दिन से चल रहा है पर अब उसे अधिक तत्परता से गति दी जानी चाहिए।
सम्मेलन 17 से शुरू है। इसी दिन शादियों के उपयुक्त शुभ दिन है। ऐसे यज्ञ आयोजनों में मुहूर्त दोष नहीं देखे जाते फिर भी उस दिन संयोग वश परम शुभ मुहूर्त है जो हर वर-वधू के लिये मंगलमय होगा। जो शादियाँ अगले वर्ष की जानी हैं उन्हें इसी अवसर पर कर लिया जाये। हमारे हाथों विवाह पढ़ाने और संस्कार कराने और आशीर्वाद पाने का इससे अच्छा सुअवसर फिर किसी वर-वधू को मिलने वाला नहीं है। इस अनुपम लाभ की दृष्टि से आदर्श विवाह आन्दोलन को बड़े पैमाने पर गति देने की दृष्टि से-परिजनों में इसके लिये आवश्यक उत्साह और मार्ग-दर्शन प्रस्तुत करने की दृष्टि से -इस अवसर पर कराये जाने वाले विवाह बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
हमारी इच्छा है कि बड़े पैमाने पर इस पर आदर्श विवाह हों। इसलिए परिजनों के जो विवाह सम्बन्ध निश्चित हो चुके हों उन्हें मथुरा कराने का ही निश्चय किया जाना चाहिये। तारीख 17 गुरुवार को तीसरे पहर विवाह होंगे। वर कन्या तथा दोनों पक्ष के लोग तारीख 16 को ही आ जायें। तथा उसकी सूचना यथासम्भव जल्दी ही देकर स्वीकृति प्राप्त करली जायें ताकि व्यवस्था की पूर्व तैयारी में सरलता रहें।