Magazine - Year 1985 - Version2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
ब्रह्मचर्य का लाभ (Kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
श्रेष्ठि बंधारक ने तथागत से पूछा- आपकी मण्डली के सभी सदस्यों की कठिन और कष्टसाध्य जीवनचर्या है। कभी भोजन मिलता है, कभी नहीं। पैदल लम्बी यात्रा करते हैं, जमीन पर सोते हैं। फिर भी क्या कारण है कि हमारा श्रेष्ठ समुदाय दुर्बल और उदास रहता है और आपके परिव्राजक कमल के फूल जैसे खिले और प्रसन्न दिखाई पड़ते हैं।
तथागत ने एक ही कारण बताया- साधु जन न केवल ब्रह्मचर्य से रहते हैं, अपितु वे आज के गुजारे पर सन्तुष्ट रहते हैं, उन्हें कल की चिन्ता नहीं रहती। जो भी इस तरह रहेगा, प्रसन्नतापूर्वक जियेगा।