Magazine - Year 1994 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
हजरत लुकमान (Kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
लुकमान से किसी ने प्रश्न किया कि आपने इतनी शिष्टता कहाँ से सीखी? लुकमान ने उत्तर दिया “भाई मैंने शिष्ट व्यवहार अशिष्ट लोगों के बीच रहकर ही सीखा है। लुकमान का उत्तर सुनकर लोग अचरज में पड़ गये। लुकमान ने और आगे स्पष्ट करते हुए कहा कि अशिष्ट लोगों के बीच रहकर ही मैंने जाना कि अशिष्ट व्यवहार क्या है। मैंने पहले उनकी बुराइयों का देखा। फिर देखा कि कहीं वे बुराइयाँ मुझ में तो नहीं हैं। इस तरह के आत्मनिरीक्षण से मैं बुराइयों से दूर होता गया और आत्म सुधार के फलस्वरूप लोग मुझे लुकमान से हजरत लुकमान कहने लगे।