Magazine - Year 1994 - Version 2
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Language: HINDI
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नये युग के नये आधार व नये पंचशील
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गायत्री को आद्य शक्ति कहते हैं क्योंकि विष्णु की कमल नाभि में से उत्पन्न हुए ब्रह्मा जी को इसी महामंत्र का अवलंबन लेने का निर्देशन हुआ था। उनने इसी का तप करके जड़ चेतन, सृष्टि का सृजन किया था। इसी महाशक्ति को इन दिनों युग शक्ति के रूप में जाना जा सकता है क्योंकि वायुमण्डल और वातावरण में भारी हुई विषाक्तता का निराकरण इसी की सामूहिक तपश्चर्या के सहारे संभव हैं। नौ युग का अवतरण भी प्रज्ञा अभियान प्रज्ञावतार के रूप में हो रहा हैं अगला युग प्रज्ञा युग होगा। उसे नव युग का सतयुग भी कहा जा सकता है। युग प्रचलन क्या होंगे, सार संक्षेप में कहा जाय तो वह यह हैं कि संसार एक कुटुँब की तरह होगा। एक राष्ट्र, एक धर्म, एक भाषा, एक संस्कृति समस्त विशय में समान रूप से लागू होगी। ना कोई गरीब होगा। , ना अमीर। धरती सबकी माता है। उसके उत्पादनों का सभी लोग मिल -जुलकर उपयोग करेंगे आर्थिक, सामाजिक विषमताओं का पूरी तरह उन्मूलन होगा। सबको अपनी आवश्यकता के अनुरूप लेना होगा और अपनी सामर्थ्य भर काम करना पड़ेगा। सभी अपनी कमाई पर गुजर करेंगे। हराम की कमाई पर निर्वाह किसी का ना होगा। उत्तराधिकार में वंशजों प्रचुर का पूंजी प्राप्त करने गुलछर्रे उड़ाने का किसी को अवसर ना मिलेगा।
विभिन्न देश अपने स्वार्थों के लिए पड़ोसियों को हड़पने का अवसर प्राप्त ना कर सकेंगे। विश्व राज्य की सम्मिलित न्याय-व्यवस्था रहेगी और सेना भी एक केन्द्र के अधीन रहेगी। झगड़े पंचायतों से तय होगे। अनीति रोकने का काम सरकार के जिम्मे होगा। अत्याचारों, अंधविश्वासों, अवांछनीयताओं, कुरीतियों धूर्तताओं मूर्खताओं का जड़ -मूल से उन्मूलन होगा। हर किसी को व्यक्तिगत कठिनाई के लिए मुकदमे ना चलाने पड़ेंगे। नारी का सम्मान नर की तुलना में श्रेष्ठ होगा। सन्तानोत्पादन पर गड़े प्रतिबंध लगेंगे। ताकि धरती पर उतने ही लोग रह सके जिनके लायक साधन हैं शिक्षा और चिकित्सा सरकार के दायित्व होगे। बूढ़े भी अपनी क्षमता के अनुरूप काम करेंगे। सादा जीवन उच्च विचार का सिद्धाँत हर किसी को अपनाना होगा। मनुष्य के मौलिक अधिकारों में कोई व्यवधान उत्पन्न ना कर सकेगा अपराधियों को कड़ी प्रताड़ना मिलेगी, ताकि उस दिशा को अपनाने की किसी की हिम्मत ना बढ़े।
लोग सीमित समय में आजीविका उपार्जित कर दिया करेंगे और बचे हुए शेष समय का उपयोग निजी परिष्कार और लोक मंगल के लिए करेंगे। रिटायर्ड होने का अर्थ निठल्ले घूमना ना होगा। व्यक्ति की योग्यता का लाभ उसका परिवार ही नहीं समूचा समाज उठायेगा। भौतिकी की तुलना में विज्ञान की धारा आत्मिकी के उत्थान में समन्वयात्मक पुरुषार्थ करेगी विज्ञान से तत्वज्ञान को अधिक श्रेय सम्मान मिलेगा।
नव युग में शरीर रक्षा के पंचशील होगे 1- सात्विक एवं सीमित आहार। 2- स्वच्छ जल का पर्याप्त उपयोग। 3- खुली वायु में गहरी सास। 4- समुचित श्रम। 5- चिन्ता रहित रात्रि विश्राम। मानसिक स्वास्थ्य के पंचशील होंगे 1- खिलाड़ी जैसा दृष्टिकोण। 2- अनवरत मुस्कान। 3- इन्द्रिय निग्रह। 4- काम में मनोयोग एवं गौरव 5- उपलब्धि में संतोश, प्रगति में उत्साह सामाजिक पंचशील इस प्रकार होंगे। 1- ईमानदारी 2-नागरिकता की जिम्मेदारी 3- नर्म शिष्ट, एवं मधुर व्यवहार 4- वचन का पालन 5- उदार सहयोग पारिवारिक पंचशील इस तरह होगे। 1- अभिभावकों के प्रति सहयोग, कृतज्ञता, -सेवा - भावना छोटों का दुलार सहयोग 3- दाँपत्य सम्बंधों में सघन मैत्री। 4- सत्प्रवृत्तियों की सम्पन्नता मानना और उन्हें बढ़ाना। 5- सन्तान संख्या न्यूनतम। धार्मिक पंचशील होगे -1- सत्प्रवृत्तियों का समर्थन संवर्धन 2- दुष्प्रवृत्तियों से सहयोग, विरोध, संघर्ष 3- पीड़ा और पतन के निवारण में बढ़-चढ़ कर अंसधान उच्चस्तरीय अवस्थाओं को दृढ़तापूर्वक अपनाना 5- कर्त्तव्य पालन में तत्परता, अधिकार पाने में उदासीनता।
आध्यात्मिक पंचशील होंगे। 1- ईश्वर की कर्मफल व्यवस्था पर अटूट विश्वास 2- आत्मावलंबन 3- औसत भारतीय स्तर जीवन, शेष उपलब्धियों का सत्प्रयोजनों में उपयोग 4- जीवन साधना में प्रखर तत्परता 5- आत्मियता चरम विस्तार
सार्वभौम पंचशील नवयुग के इस प्रकार होंगे 1- एकता 2- समता 3- संघबद्धता 4- सहिष्णुता 5-उदार निष्ठा।
इन आधारों सहित नवयुग के आगमन की संभावना को कोई चाहे तो शास्त्र कथन या भविष्यवाणी भी कह सकता है।