Magazine - Year 1994 - Version 2
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Language: HINDI
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नमन है तुमको बारंबार (Kavita)
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गुरुवर ! आज तुम्हारी वाणी बदलेगी साँर,
नमन है तुमको बारंबार ।
वचन तुम्हारे हर लेंगे अब हर मन का अँधियार,
नमन है तुमको बारंबार ।
शापित मानव में तुमने नूतन प्राण जगाये,
संस्कृति के मरुथल में तुमने अमृत-कण बरसाये।
निर्मम हृदयों में सरसायी करुणा की रसधार ।
नमन है तुमको बारंबार ।
सहज-सरल वाणी से तुमने जन-जन को अपनाया,
जटिल और दुर्लभ दर्शन को तुमने सुलभ बनाया ।
सुगम हुए सारी धरती को यूँ उत्कृष्ट विचार ।
नमन है तुमको बारंबार ।
अत्याचार बहुत है, हाहाकार मचा है भारी ,
दुष्प्रभाव से देश-देश में फैली है लाचारी ।
इस विपत्ति-वेला में तुमने दिया सबल आधार ।
नमन है तुमको बारंबार ।
तर्क-बुद्धि से पहले भावों की प्रेरणा जगायी ,
पहले तपे स्वयं, फिर ऊर्जा कण-कण में खरायी।
मानवता को दिया संजीवन-विद्या का उपहार ।
नमन है तुमको बारंबार ।
तपःपूत लेखनी तुम्हारी रही जगाने वाली ,
हर हताश के हृदय मनोबल सदा बढ़ाने वाली ।
दिया दुखी मानव को तुमने ही अमोघ उपचार ।
नमन है तुमको बारंबार ।
-शचीन्द्र भटनागर