Magazine - Year 1994 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
समर्पित की अकुलाहट (Kavita)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
सब कुछ, हे जीवन-धन !
देकर भी करता मन, दे दूँ कुछ और अभी ।
तन अंगीकार करो,
मन को स्वीकार करो ,
भ्रम-लोभ-मोह लेकर ,
प्राणों का भार हरो ,
दूँ आठों याम तुम्हें ,
हर श्रम-विश्राम तुम्हें ,
सारा पूजन-अर्चन ,
देकर भी करता मन, दे दूँ कुछ और अभी ।
प्रभू ! भक्ति समर्पित हो ,
सब शक्ति समर्पित हो ,
जीवन भर की सारी ,
अनुरक्ति समर्पित हो ,
उँगलियाँ सुमिरन हों ,
पासें अनुसरनी हो ,
अंतस् का अनुगुँजन ,
देकर भी करता मन, दे दूँ कुछ और अभी ।
प्रभू ! नाम तुम्हारा हो ,
धन-धाम तुम्हारा हो ,
बस कर्म हमारे हों ,
परिणाम तुम्हारा हो ,
मैं अनजाना हो लूँ ,
बिना पहचाना हो लूँ ,
हर आश्रय-अवलंबन ,
देकर भी करता मन, दे दूँ कुछ और अभी ।
-चिन्मय