Magazine - Year 2000 - Version 2
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Language: HINDI
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संतों की मूल विशेषता (kahani)
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एक आदमी संत तुकाराम का कीर्तन सुनने को नित्य ही आता, पर उनसे बहुत ही द्वेष रखता। वह मन ही मन किसी अवसर पर संत तुकाराम को नीचा दिखने की ताक में रहता था। एक दिन तुकाराम की भैंस उसके बाग के कुछ पौधे चर आई। बस वह आकर लगा गालियाँ सुनाने। इस पर भी जब संत उत्तेजित न हुए तो उसे और भी गुस्सा आया। और एक कांटों वाली छड़ी लेकर तुकाराम को इतना पीटा कि रक्त बहने लगा। फिर भी तुकाराम को न क्रोध आया न प्रतिरोध ही किया।
संध्या समय जब वह व्यक्ति नित्य की भाँति कीर्तन में नहीं आया, तो संत तुकाराम स्वयं उसके घर गए और स्नेहपूर्वक भैंस की गलती की क्षमा माँगते हुए उसे कीर्तन में ले आए।
उसके बाद उसका जीवनक्रम ही बदल गया और वह उनका प्रिय भक्त बन गया। अपने प्रति किए गए दुर्व्यवहार पर भी उस व्यक्ति पर निरंतर अपना स्नेह बरसाते रहना ही संतों की मूल विशेषता रही है।