Books - धर्मतंत्र का दुरुपयोग रुके
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Language: HINDI
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यह सोच भी बदले
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मित्रो! जो व्यक्ति ऐसा ख्याल करते हैं कि भगवान निराकार हैं उसकी मूर्तिपूजा की जरूरत नहीं है, उन लोगों से भी मेरी यह प्रार्थना है कि वे उस शक्तिशाली माध्यम की उपेक्षा नहीं करें। ये मंदिर हिंदू धर्म की श्रद्धा के केंद्र हैं। उनको अब दिशा दी जानी चाहिए, नया मोड़ दिया जाना चाहिए। अब उनके विरोध करने की जरूरत नहीं रहीं। अब उनका खंडन करने की जरूरत नहीं रही। किसी जमाने में ऐसा रहा होगा कि लोगों के मनों में मूर्तिपूजा की बात, जो गहराई तक जम गई थी उसको कमजोर करने के लिए संभव है, किसी ने मंदिर का विरोध किया हो और यह कहा हो कि इसमें मूर्तिपूजा की जरूरत नहीं है। उस आधार पर धन खरच करने की जरूरत नहीं है। हो सकता है, किसी जमाने में धर्म सुधारकों ने अपनी बात समय के अनुरूप कही हो, लेकिन मैं अब यह कहता हूँ कि हिंदुस्तान में गाँव-गाँव में छोटे-बड़े मंदिर बने हुए है। उनको आप उखाड़िएगा क्या? भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण जिनको हमारी असंख्य जनता श्रद्धापूर्वक प्रणाम करती है, क्या उनका आप विरोध करेंगे?