Books - धर्मतंत्र का दुरुपयोग रुके
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Language: HINDI
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प्रगतिशील मंदिरों को आवश्यकता
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मित्रो! अब समय आ गया है, जबकि मंदिरों का स्वरूप बदल दिया जाए। नमूने के लिए अब ऐसे मंदिर बनाए जा सकते हैं, जिनमें प्रयोगशाला के तरीके से लोग देख पाएँ कि मंदिरों का सही इस्तेमाल क्या हो सकता है और क्या होना चाहिए? हमने गायत्री तपोभूमि का मंदिर लोगों के सामने एक नमूना पेश करने की खातिर बनाया है। यों तो अपने देश में इतने सारे मंदिर हैं। भगवान तो एक ही है। उनको ही शंकर कह दीजिए, गणेश कह दीजिए, हनुमान जी कह दीजिए। अनेक भगवान नहीं हो सकते, हाँ उनके नाम अनेक हो सकते है। मंदिर में मूर्ति रख देना ही काफी नहीं है, वरन मूर्ति के साथ साथ उन भगवान से संबंधित वृत्तियों को आगे बढ़ाया जाना और फैलाया जाना भी आवश्यक है। अपने यहाँ यही तो होता है। कितने कार्य होते हैं-विद्यालय वहाँ चलता है, प्रकाशन वहाँ होता है, देश भर के लिए कार्यकर्ता वहाँ से भेजे जाते हैं और न जाने क्या क्या किया जाता है, लेकिन उस मंदिर तक ही हम सीमाबद्ध नहीं हैं। यदि सीमाबद्ध हो जाते, तो उसको प्रगतिशील मंदिर नहीं कहा जा सकता था। अब हमको प्रगतिशील मंदिरों की स्थापना की आवश्यकता है। समाज का नया निर्माण करने के लिए नए नए रचनात्मक केंद्र खोले जाने चाहिए।