Books - गीत माला भाग ११
Media: TEXT
Language: EN
Language: EN
भगवान का अमर सुत
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
भगवान का अमर सुत
(धुन- चलना सिखा दिया है)
भगवान का अमर सुत, हैवान हो रहा है।
देखो पिशाच बनकर, हर आदमी जी रहा है॥
विकृत विचार विष से, फिर जल रही मनुजता।
देवत्व डर रहा है खुश हो रही दनुजता।
विष भर रहा हृदय में, उर ताप भी लिए हैं॥
चिंतन चरित्र में अब, विकृति बढ़ी हुई है।
चहुँ ओर कौरवों की, सेना खड़ी हुई है।
विध्वंस के लिए ही, हर आदमी जिये है॥
(धुन- चलना सिखा दिया है)
भगवान का अमर सुत, हैवान हो रहा है।
देखो पिशाच बनकर, हर आदमी जी रहा है॥
विकृत विचार विष से, फिर जल रही मनुजता।
देवत्व डर रहा है खुश हो रही दनुजता।
विष भर रहा हृदय में, उर ताप भी लिए हैं॥
चिंतन चरित्र में अब, विकृति बढ़ी हुई है।
चहुँ ओर कौरवों की, सेना खड़ी हुई है।
विध्वंस के लिए ही, हर आदमी जिये है॥