Books - गीत माला भाग ११
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महाकाल के अवतारी तुम
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महाकाल के अवतारी तुम
महाकाल के अवतारी तुम, अमर अजर वरदानी।
नूतन सृष्टि बनाकर तुमने, लिख दी अमर कहानी॥
परम शुद्ध वह बुद्ध तथागत, जिसको मोह न भाया।
इन आँखों से हुई अचानक, ओझल कंचन काया॥
सत्य अहिंसा पथ अन्वेषक, महावीर स्वामी थे।
किया समन्वित नया पुराना, कर्मठ निष्कामी थे॥
कोटि- कोटि हृदयों तक पहुँची, जिसकी अमृत वाणी॥
किस वैदिक ऋषि ने इस युग में, आ अवतार लिया था।
देव पुरुष ने मानवता को, अनुपम प्यार दिया था॥
माँ तेरी पावन महिमा का, जिसने ध्वज फहराया।
वह भविष्य दृष्टा, युग सृष्टा, ब्रह्म तेज बन छाया॥
गहन तपश्चर्या से जिसने, नये सृजन की ठानी॥
शक्ति साधना के स्वर उभरे, गूँजा कोना कोना।
तभी हंस उड़ गया अकेला, करके आँगन सूना॥
तब बन्धन से मुक्त प्रभामय, ज्योति अखण्ड जलाई।
धरती तो धरती अम्बर तक, जिनने राह बनाई॥
जन मन के संग एक हो गये, वह अद्भुत विज्ञानी॥
चिन्तन, मनन, सृजन का जग को, अभिनव पंथ दिखाया।
इस सारे जग ने उनके ,, चरणों में शीश झुकाया॥
एक नया भूचाल बौद्धिक, अब आने वाला है।
सतयुग आयेगा सविता का, फैला उजियाला है॥
चलें तुम्हारे पथ पर हम भी, हे शिव औघड़दानी॥
महाकाल के अवतारी तुम, अमर अजर वरदानी।
नूतन सृष्टि बनाकर तुमने, लिख दी अमर कहानी॥
परम शुद्ध वह बुद्ध तथागत, जिसको मोह न भाया।
इन आँखों से हुई अचानक, ओझल कंचन काया॥
सत्य अहिंसा पथ अन्वेषक, महावीर स्वामी थे।
किया समन्वित नया पुराना, कर्मठ निष्कामी थे॥
कोटि- कोटि हृदयों तक पहुँची, जिसकी अमृत वाणी॥
किस वैदिक ऋषि ने इस युग में, आ अवतार लिया था।
देव पुरुष ने मानवता को, अनुपम प्यार दिया था॥
माँ तेरी पावन महिमा का, जिसने ध्वज फहराया।
वह भविष्य दृष्टा, युग सृष्टा, ब्रह्म तेज बन छाया॥
गहन तपश्चर्या से जिसने, नये सृजन की ठानी॥
शक्ति साधना के स्वर उभरे, गूँजा कोना कोना।
तभी हंस उड़ गया अकेला, करके आँगन सूना॥
तब बन्धन से मुक्त प्रभामय, ज्योति अखण्ड जलाई।
धरती तो धरती अम्बर तक, जिनने राह बनाई॥
जन मन के संग एक हो गये, वह अद्भुत विज्ञानी॥
चिन्तन, मनन, सृजन का जग को, अभिनव पंथ दिखाया।
इस सारे जग ने उनके ,, चरणों में शीश झुकाया॥
एक नया भूचाल बौद्धिक, अब आने वाला है।
सतयुग आयेगा सविता का, फैला उजियाला है॥
चलें तुम्हारे पथ पर हम भी, हे शिव औघड़दानी॥