Books - गीत माला भाग ११
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भर भर आये नयन हमारे
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भर भर आये नयन हमारे
भर भर आये नयन हमारे, भरा तुम्हारा भी मन होगा।
सदा हमारे आशीषों से, भरा तुम्हारा जीवन होगा॥
जीवन पथ में सदा तुम्हारे, पग पग पर हम साथ रहेंगे।
अगर कहीं तुम भटक गये तो, सत्पथ का संकेत रहेंगे॥
मगर अकेलेपन में खोया, नहीं कभी कोई क्षण होगा।
जहाँ रहोगे वही हमारा, भावभरा संरक्षण होगा॥
लक्ष्य हीन सब भटक रहे हैं, छाया इतना गहन अंधेरा।
उड़ते उड़ते शाम हुई है, मिला नहीं पर कहीं सबेरा॥
तुम्हें पथ भूले मानव को, देना इतना निमंत्रण होगा।
तभी हमें संतोष मिलेगा, तभी यहाँ पूरा प्रण होगा॥
युग के इस तपते मरूस्थल में, करूणा की रसधार तुम्हीं हो।
नवयुग के उज्ज्वल भविष्य के, मूल तुम्हीं आधार तुम्हीं हो॥
बढ़ी आज जिम्मेदारी है, नष्ट नहीं कोई क्षण होगा॥
अग्रदूत बन जो चल देगा, कल उसका अभिनन्दन होगा॥
आओ तुम सब आगे बढ़कर, नए सृजन का भार उठाओ।
मानव का दुर्भाग्य मिटाकर, चिर नूतन सौभाग्य जगाओ॥
उतरेगा देवत्व तभी तो, जब संस्कारित तन मन होगा॥
धरा बनेगी स्वर्ग और फिर, गाँव- नगर नन्दनवन होगा।।
भर भर आये नयन हमारे, भरा तुम्हारा भी मन होगा।
सदा हमारे आशीषों से, भरा तुम्हारा जीवन होगा॥
जीवन पथ में सदा तुम्हारे, पग पग पर हम साथ रहेंगे।
अगर कहीं तुम भटक गये तो, सत्पथ का संकेत रहेंगे॥
मगर अकेलेपन में खोया, नहीं कभी कोई क्षण होगा।
जहाँ रहोगे वही हमारा, भावभरा संरक्षण होगा॥
लक्ष्य हीन सब भटक रहे हैं, छाया इतना गहन अंधेरा।
उड़ते उड़ते शाम हुई है, मिला नहीं पर कहीं सबेरा॥
तुम्हें पथ भूले मानव को, देना इतना निमंत्रण होगा।
तभी हमें संतोष मिलेगा, तभी यहाँ पूरा प्रण होगा॥
युग के इस तपते मरूस्थल में, करूणा की रसधार तुम्हीं हो।
नवयुग के उज्ज्वल भविष्य के, मूल तुम्हीं आधार तुम्हीं हो॥
बढ़ी आज जिम्मेदारी है, नष्ट नहीं कोई क्षण होगा॥
अग्रदूत बन जो चल देगा, कल उसका अभिनन्दन होगा॥
आओ तुम सब आगे बढ़कर, नए सृजन का भार उठाओ।
मानव का दुर्भाग्य मिटाकर, चिर नूतन सौभाग्य जगाओ॥
उतरेगा देवत्व तभी तो, जब संस्कारित तन मन होगा॥
धरा बनेगी स्वर्ग और फिर, गाँव- नगर नन्दनवन होगा।।