भव्य, दिव्य देव संस्कृति दिग्दर्शन प्रदर्शनी
अश्वमेध यज्ञ स्थल पर लगाई गई विशाल देव संस्कृति दिग्दर्शन प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र थी। 50 हजार वर्ग फीट क्षेत्र में लगाई गई इस प्रदर्शनी को पाँच दिनों में दो लाख से अधिक लोगों ने देखा, गायत्री परिवार के विराट स्वरूप तथा उसके महान उद्देश्य के दर्शन किए।
देवात्मा हिमालय के दिव्य दर्शन
प्रदर्शनी के द्वार पर पहुँचते ही देवात्मा हिमालय और पतित पावनी माँ गंगा की विराट झाँकियाँ लोगों को सहज ही आकर्षित कर लेती थीं। प्रवेश द्वार पर परम पूज्य गुरूदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी एवं परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी की मूर्त्तियाँ जनमन में श्रद्धा का संचार कर रही थीं। यह लोगों को साक्षात हिमालय के पास होने जैसा आनन्द करा रही थी। हिमालय की दिव्य जड़ी-बूटियाँ स्वास्थ्य संवर्धन में उनका महत्त्व और उनके संरक्षण की जिम्मेदारी की याद दिला रही थीं।
पूरी प्रदर्शनी कई खण्डों में अलग-अलग विषयों को विस्तार से समझाती नजर आई। आकर्षक सज्जा, शिवाजी, समर्थ गुरू रामदास जैसे महापुरूष और सप्तऋषियों की मूर्तियों ने
प्रदर्शनी को बहुत प्रभावशाली बना दिया था। इन मूर्तियों के साथ उनकी महान परम्पराओं व प्रेरणाओं को प्रदर्शित किया गया था। एलईडी युक्त सैकड़ों सचित्र पैनल अध्यात्म का मर्म
समझाते रहे।
यज्ञ का ज्ञान-विज्ञान
खण्ड में यज्ञ की अवधारणा, यज्ञ का दर्शन, प्रकृति में यज्ञ की
परम्परा, यज्ञ की सनातन परम्परा, यज्ञ की वैज्ञानिकता, यज्ञ के लाभ, दैनंदिन जीवन में यज्ञ जैसे विषयों को बड़े विस्तार से समझाया गया था। बलिवैश्व देव यज्ञ का जीवंत प्रदर्शन किया गया, लोगों में बलिवैश्वदेव यज्ञ के मंत्रों के स्टिकर बाँटे गए। लोग बहुत प्रभावित हुए। बलिवैश्व यज्ञ के लिए पात्र भी उपलब्ध कराये गए थे। 1500 से अधिक लोगों ने इन्हें खरीदा।
गायत्री का ज्ञान-विज्ञान
प्रदर्शनी की विषयवस्तु थी-एक ही आद्यशक्ति की विभिन्न धाराएँ विभिन्न देवी-देवताओं के रूप में प्रचलित हैं। एक ही ज्वाला की विभिन्न लपटें हैं, विभिन्न देवी-देवता। गायत्री की 24
शक्तिधाराओं की विशेषताओं को उकेरा गया। गायत्री उपासना-साधना विधि और उसके लाभ बताए गए।
ऋषियुग्म का जीवन दर्शन
प्रदर्शनी उनके तप की गहराई और व्यक्तित्व की हिमालय जैसी विराटता को दर्शाती रही। इस प्रदर्शनी में अपनी हिमालय यात्रा के समय स्वयं परम पूज्य गुरूदेव द्वारा खींचे गए चित्रों की प्रदर्शनी भी विशेष आकर्षण का केन्द्र थी।
आओ गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी
प्रदर्शनी में माता के गर्भ धारण से लेकर युवावस्था तक
व्यक्तित्व के आदर्श विकास की प्रेरणाएँ और गायत्री परिवार द्वारा चलाए गए आन्दोलनों की जानकारी मिली। अपनी सनातन संस्कार परम्परा से लेकर कन्या/किशोर शिविर, दम्पती शिविर, युवा आन्दोलन की जानकारियाँ इस प्रदर्शनी के माध्यम से दी गइर्ं। माता जीजाबाई द्वारा बालक शिवा के निर्माण को दर्शाती मूर्तियाँ दर्शकों को आकर्षित करती रहीं।
सप्त आन्दोलन प्रदर्शनी
समाज के नवनिर्माण के लिए गायत्री परिवार द्वारा चलाए
जा रहे कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी सप्त आन्दोलन प्रदर्शनी के माध्यम से दी गई।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय
प्रदर्शनी में देश ही नहीं, विश्व के इस अनूठे विश्वविद्यालय
की विस्तार से जानकारी दी गई थी। अपने बच्चों के नैतिक उत्थान के लिए चिंतित अभिभावकों और हृदय में राष्ट्रसेवा की उमंग सँजोय युवाओं ने इन जानकारियों को प्राप्त करने में बहुत उत्साह दर्शाया।
व्यसनमुक्ति
प्रदर्शनी ने लाखों दर्शकों को आकर्षित किया। प्रदर्शनी में लगाई गई सिगरेट, तंबाकू, शराब आदि वस्तुओं का स्पर्श करने पर वे स्वयं ही उनके दुष्प्रभावोें की जानकारियाँ देती
दिखाई दीं। व्यसनों के प्रति चेताती डेढ़ लाख पुस्तिकाएँ एवं एक लाख पत्रक-व्यसनमुक्ति के संकल्प पत्र नि:शुल्क वितरित किए गए। हजारों की संख्या में दर्शकों ने संकल्प पत्र भरकर
प्रदर्शनी की प्रभावशीलता सिद्ध की।
गो विज्ञान एवं आदर्श ग्राम योजना
की प्रदर्शनियाँ भी अत्यंत ज्ञानवर्धक और अनुकरणीय थीं।