गंगा के घाटों को स्वच्छ, सुंदर और प्रेरणादायी बना रहे हैं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राए
संकल्प की पृष्ठभूमि
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी की कक्षाओं से उभरे आत्मिक उल्लास के बीच अपने-अपने ढंग से नवरात्र साधनाएँ कीं। प्रत्येक छात्रावास में देवस्थापनाएँ हुइर्ं, उनके समक्ष विद्यार्थियों ने जप, अनुष्ठान, पूजा, आरती आदि क्रम सम्पन्न किए।
प्रथम दिन अनुष्ठान के सामूहिक संकल्प के समय उनके बीच आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी उपस्थित हुए। उन्होंने अपने अंत:करण की वेदना अपने प्रिय विद्यार्थियों के समक्ष रखी, कहा, ‘‘हमें माँ गंगा की स्वच्छता के लिए कुछ करना चाहिए।’’ बच्चों ने बड़ी प्रसन्नता पूर्वक अपनी सहमति जताई। तद्नुसार कार्ययोजना निर्धारित करते हुए शान्तिकुञ्ज, देसंविवि के निकट व्यास आश्रम से लेकर घाट क्रमांक 1 तक के घाटों को स्वच्छ, सुंदर और प्रेरणादायी बनाने का निर्णय लिया गया। पहले सभी घाटों का सर्वे किया गया, तत्पश्चात् स्थायी स्वच्छता और सुंदरता के लिए कार्य आरंभ हुआ।
छुट्टियों में करेंगे माँ गंगा की सेवा
कार्ययोजना के अनुसार एक-एक घाट को स्वच्छ, सुंदर और प्रेरणादायी बनाया जाएगा। वर्षाऋतु में घाटों पर बने रेत के टीलों को हटाकर अवरूद्ध हो चुके गंगा के प्रवाह को घाटों तक लाने की योजना है। घाटों से कूड़ा-करकट हटाकर वहाँ दैनिक कूड़े के निस्तारण के लिए कूड़ादानों की व्यवस्था करने जैसी योजनाएँ भी हैं। घाटों के किनारे बाँध पर बनी सड़क को स्वच्छ किया जा रहा है।
घाटों को स्वच्छ करने के बाद वहाँ योग, यज्ञ, आरती, दीपयज्ञ जैसे क्रम चलें, ऐसी योजना भी बनाई जा रही है। वहाँ प्रेरणादायी दीवार लेखन किया जा रहा है। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थी रविवार या अन्य छुट्टियों के दिन श्रमदान कर इन योजनाओं को मूर्तरूप प्रदान करेंगे।
नवरात्र से हुआ शुभारंभ
नवरात्र से ही स्वच्छता अभियान का शुभारंभ हो गया। समाचार लिखे जाने तक देव संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन एंड मैनेजमेंट, स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज सोशल साइंसेज एंड फाउंडेशन कोर्स एवं स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज एंड सस्टेनेबिलिटी, स्कूल ऑफ इंडोलॉजी के सैकड़ों छात्र, आचार्य और प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी सहित अधिकारीगणों ने दो बार गंगातट पर पहुँचकर श्रमदान किया।
प्रथम चरण में गीताकुटीर और सप्तऋषि क्षेत्र के घाटों को पाँच सेक्टरों में बाँटकर बृहद् स्तर पर सफाई की गई। स्वच्छता के कार्य में शान्तिकुञ्ज के त्रैमासिक संगीत सत्र के भाई भी शामिल हुए। घाटों की स्वच्छता को देखकर आश्रम के संत, महंत और पर्यटक श्रद्धालुगण भी गद्गद थे। जनजागरूकता और उसका परिणामव श्रमदान का शुभारंभ देसंविवि स्थित प्रज्ञेश्वर महादेव से होता है। सैकड़ों विद्यार्थी प्रभातफेरी के रूप में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करते जाते हैं। परिणाम भी बड़े उत्साहवर्धक हैं। देखा जा रहा है कि लोग स्वच्छता से प्रभावित होकर घाटों को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक हो रहे हैं, पहले की तरह गंदगी वहाँ दिखाई नहीं देती।