जन्मशताब्दी वर्ष के उल्लास के साथ आरंभ हुआ जनजागरण अभियान
छत्तीसगढ़, ओडिशा, नेपाल, उत्तराखण्ड, पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, चंडीगढ़ एवं जम्मू-कश्मीर में ज्योति कलश यात्राओं के लिए शक्ति कलशों का पूजन हुआ
इस वर्ष देश में आयोजित होंगे 600 विशाल यज्ञीय आयोजन, रवाना हो रही हैं टोलिया
जन्मशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पूरे देश में ज्योति कलश यात्राएँ इस वर्ष आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में सबसे प्रमुख कार्यक्रम है। संत पंचमी सन् 1926 में परम पूज्य गुरूदेव द्वारा अखण्ड ज्योति प्रज्वलन तथा परम वन्दनीया माताजी के जन्म की शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाली इन ज्योति कलश यात्राओं की सफलता के लिए शान्तिकुञ्ज ने भरपूर तैयारियाँ की हैं। यहाँ प्रांतवार ज्योति कलश यात्रा कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं, जिनमें उन प्रांत के प्रमुख कार्यकर्त्ताओं के साथ इन यात्राओं के प्रयोजन,स्वरूप और संचालन की विधि-व्यवस्थाओं पर गहन विचार मंथन किया जा रहा है। 7 से 9 सितम्बर की तिथियों में राजस्थान, प. बंगाल एवं पूर्वोत्तर के राज्यों की प्रथम कार्यशाला सम्पन्न हुई। (समाचार गत अंक में प्रकाशित हुए हैं) उसी क्रम् में 20 से 22 सितम्बर की तिथियों में छत्तीसगढ़ और ओडिशा प्रान्तों की तथा 25 से 27 सितम्बर की तिथियों में उत्तराखण्ड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चण्डीगढ़, जम्मू-कश्मीर और नेपाल प्रांत की कार्यशाला शान्तिकुञ्ज में आयोजित की गई। ज्योति कलश यात्राओं के आयोजन के लिए प्रत्येक प्रान्त के कार्यकर्त्ताओं में भरपूर उत्साह दिखाई दिया। शानदार संकल्प उभरे, कार्यकर्त्ताओं ने इन यात्राओं को सम्पन्न कराने के लिए अपने-अपने समयदान के संकल्पों की घोषणा की। समूह चर्चा में यात्रा की उपलब्ध्यिों के लक्ष्य भी निर्धारित किए गए। ज्योति कलश यात्रा कार्यशालाओं में आए सभी कार्यकर्त्ताओं को श्रद्धेया शैल जीजी से मिलने, उनका स्नेह एवं आशीर्वाद पाने का अवसर मिला। आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी और आदरणीया शेफाली जीजी के अलावा शान्तिकुञ्ज के व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि जी, जोन समन्वयक डॉ. ओ.पी. शर्मा जी, कार्यक्रम विभाग प्रभारी श्री श्याम बिहारी दुबे जी के अलावा इन सम्मेलनों को कई वरिष्ठ वक्ताओं ने संबोधित किया।