डेंगू से बचाव संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारिया
बर्तनों का पानी बदलना ही नहीं, उन्हें रगड़कर साफ करना आवश्यक है। एक से डेढ़ वर्ष तक सक्रिय रहता है डेंगू के मच्छर का अंडा
डेंगू के बढ़ते संक्रमण से बचाव के उपाय समझाने के लिए चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जनपद हरिद्वार के विशेषज्ञों का एक दल शान्तिकुञ्ज आया। दल की सदस्य डॉ. उषा बिष्ट एवं स्वास्थ्य निरीक्षक डॉ. चंद्रमोहन कंसवाल ने पावर पॉइंट के सहारे डेंगू और उससे बचाव के उपाय बड़ी सरल भाषा में समझाये और अत्यंत महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। जैसे-
# डेंगू एडीज़ नामक मादा मच्छर के काटने से होता है। मच्छर के काटने के 7 से 12 दिन के भीतर डेंगू के लक्षण प्रकट होते हैं।
# यह मच्छर पर्दे के पीछे, पलंग, कुर्सियों या अन्य अंधेरे वाले स्थानों में जाकर छिप जाते है। अत: उड़ने वाले मच्छरों की बजाय इन छिपे मच्छरों से सावधान रहने और उन्हें नष्ट करने की अधिक आवश्यकता है।
# डेंगू का मच्छर साफ और ठहरे हुए पानी में अंडे देता है, बहते जल में नहीं। गंदे स्थानों पर भी यदि ऊपर स्वच्छ जल का आवरण जमा है तो वहाँ भी डेंगू का
मच्छर अण्डे देता है। डेंगू से बचना है तो गमले, बर्तन, पानी की टंकी, पुराने टायर, कूलर, फ्रिज के पीछे की ट्रे आदि का जल कम से कम हर सप्ताह अवश्य बदलें, उन्हें रगड़कर साफ करें, धूप में सुखाएँ और फिर प्रयोग करें। खुले स्थानों में पड़े डिस्पोजेबल बर्तन, उपयोग में किए गए नारियल के खोल इत्यादि को हटा दें या उलटा कर दें, ताकि उनमें पानी जमा न हो सके।
विशेष ज्ञातव्य :
डेंगू के अंडे चिपचिपे होते हैं। वह पानी खाली करने के बाद भी बर्तन की सतह पर चिपके रहते हैं। वह एक से डेढ़ वर्ष तक सक्रिय रहते हैं और पुन: पानी के संपर्क में आते ही अंडे से लार्वा, प्यूपा और फिर मच्छर के रूप में विकसित हो जाते हैं। मानो इस वर्ष गर्मी समाप्त होने पर कूलर से पानी निकाल कर रख दिया गया। यदि उसमें डेंगू मच्छर के अंडे चिपके हैं और उन्हें रगड़कर हटाए नहीं गए हैं तो उस कूलर में अगले वर्ष जब पानी भरेंगे तो वे अंडे मच्छर के रूप में विकसित हो जाएँगे।