विजयादशमी पर देसंविवि में रामलीला का मंचन
श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने कहा कि रोम-रोम में समाए राम को जगाने तथा अंतर्निहित आसुरी वृत्तियों पर विजय पाने की प्रेरणा है विजयादशमी का पर्व
शान्तिकुञ्ज एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिवार ने असत्य पर सत्य की विजय, असुरता पर देवत्व की विजय, अनीति पर नीति की विजय का संदेश देता विजयादशमी पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया। 30 फीट ऊँचे रावण के दहन का भव्य कार्यक्रम देव संस्कृति विश्वविद्यालय के बास्केट बॉल मैदान में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मेले जैसा वातावरण था। तरह-तरह के व्यंजनों के स्टॉल लगाए गए। रावण दहन स्थल में उपस्थित लगभग 5000 लोगों ने इन स्वादिष्ट पकवानों का लुत्फ उठाया। रावण दहन से पूर्व कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी की मुख्य उपस्थिति में देसंविवि के मृत्युंजय सभागार में आकर्षक रामलीला का मंचन किया गया। उल्लेखनीय है कि इस रामलीला का मंचन विद्यार्थियों ने नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय के स्टाफ द्वारा किया गया था। कुलसचिव श्री बलदाऊ देवांगन, लेखा विभाग प्रभारी श्री जगदीश कुल्मी, डॉ. देवाशीष गिरी, श्रीमती दीपिका गिरी, अचल वशिष्ठ, सूर्यनाथ यादव, नीलमणि, उमेश, डॉ. रूचि सिंह, प्रवीण, आलोक पाण्डेय आदि कलाकारों के अभिनय को दर्शकों ने बहुत सराहा। पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँजता रहा। श्रद्धेय कुलाधिपति जी ने अपने आशीर्वचन में कलाकारों के उत्साह और अभिनय की सराहना की। उन्होंने कहा कि दशहरा पर्व हमें अपने भीतर की आसुरी वृत्तियों पर विजय प्राप्त कर रोम-रोम में समाए राम को जगाने की प्रेरणा देता है। हर व्यक्ति को अपनी हीन वृत्तियों पर विजय पाने की साधना करनी चाहिए।
सुमति देती है गायत्री उपासना
‘‘जहाँ सुमति है, वहीं सत्प्रवृत्तियाँ होती हैं। जहाँ कुमति है वहाँ तरह-तरह की विपत्तियाँ उत्पन्न होती हैं। भगवान राम के अनुयायियों को गायत्री उपासना करनी चाहिए, क्योंकि गायत्री उपासना सुमति प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।’’ - श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी