श्री महालक्ष्मी का सम्मान करें हर की पैड़ी क्षेत्र से कई टन गंदगी निकाली व्यसन, फैशन, फिजूलखर्ची से दूर रहें
गायत्रीतीर्थ शान्तिकुञ्ज, ब्रह्मवर्चस एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय में पंच दिवसीय ज्योति पर्व दीपावली बड़े उमंग और उत्साह के साथ मनाया गया। तीनों परिसरों को प्राकृतिक रंग एवं गुलाल की रंगोलियों से आर्कषक ढंग से सजाया गया था। श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी एवं श्रद्धेया शैल जीजी ने 31 अक्टूबर की सायं दीपावली पूजन सम्पन्न किया। उन्होंने अपने पर्व संदेश में इस पर्व की सार्थकता को समझाते हुए सभी से जीवन को श्रेष्ठता की ओर अग्रसर करने का आह्वान किया। श्रद्धेय डॉ. साहब ने कहा कि सार्थक जीवन वही है, जो दीपक की भाँति जिया जाए। दीपक ज्ञान का, त्याग का, परोपकार का, प्रकाश और ऊर्जा का प्रतीक है। जब तक वह जलता है, अपने चारों ओर का अंधकार मिटाता रहता है तथा औरों को राह दिखाता है। श्रद्धेय ने लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की, अर्थात् वैभव के साथ विवेक की निवार्यता समझाई। उन्होंने कहा कि विवेक न हो तो धन, सम्पदा अनेक प्रकार के व्यसन, अवगुण, अहंकार उत्पन्न करती है, जो व्यक्ति को कष्ट देते और पतन की ओर ले जाते हैं। लाखों युवाओं के आदर्श श्रद्धेय डॉक्टर साहब ने श्रोताओं को दीपावली के अवसर पर श्री महालक्ष्मी का सम्मान करने और हर तरह की व्यसन, फैशन, फिजूलखर्ची की आदतों को छोड़ने की प्रेरणा दी। दीपावली पूजन में आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी एवं आदरणीया शेफाली जीजी साथ रहे। श्रद्धेयद्वय ने लक्ष्मी, गणेश के पूजन के साथ लेखा विभाग प्रभारी श्री हरीश ठक्कर एवं व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि की विशेष उपस्थिति में शान्तिकुञ्ज के बही खातों का और कम्प्यूटर का पूजन किया। वेद विभाग के श्री गायत्री किशोर त्रिवेदी एवं श्री जितेन्द्र मिश्र ने कर्मकाण्ड सम्पन्न कराया। संगीत विभाग की टोली ने अपने प्रेरक प्रज्ञागीतों से कर्मकाण्ड में रस और भावों का संचार किया। शान्तिकुञ्ज में आए सैंकड़ों शिविरार्थी, साधकों ने दीपावली पूजन में भाग लिया। अंतेवासी कार्यकर्त्ताओं ने घर-घर पूजन किया, दीपमालाओं से अपने घर सजाए।
अंतर्दीप जलाएँ। -डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने दीपावली पर्व पर गायत्री परिवार के कार्यकर्त्ताओं को और समस्त देशवासियों को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि हमारे भीतर एक दीया ऐसा जले, जो हमें तमाम भ्रम, भ्राँति भटकावों से बचाकर सन्मार्ग की ओर प्रेरित करता रहे। उन्होंने कहा कि माँ गायत्री का सच्चा उपासक वह है जो सदैव प्रकाश और उल्लास से भरा रहता है।