बालाघाट में आयोजित 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में डॉ. चिन्मय पंड्या का राष्ट्र जागरण पर प्रेरणादायक संबोधन
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के अपने पांच दिवसीय प्रवास के चौथे दिन अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी महाराष्ट्र के बालाघाट में सरदार पटेल विश्वविद्यालय के प्रांगण में राष्ट्र जागरण 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में आयोजित युवा सम्मेलन में पहुंचे।
इस विराट आयोजन में उपस्थित जन समुदाय को राष्ट्र जागरण हेतु संबोधित करते हुए कहा, "आज जब हम मध्यप्रदेश की पावन भूमि पर आए है वह भूमि जो महाकाल की भूमि है, ओंकारेश्वर की भूमि है, मां नर्मदा की भूमि पर आए है यह सौभाग्यों के जागरण की भूमि है। यह सौभाग्य, यह अवसर आज का दिन लेकर आया है लेकिन यह उन्हीं के जीवन में आता है जो उसको पहचान पाने में सक्षम हो। यह उसे ही मिलता है जो जागृत है, जो विचारशील है, जो विवेकवान है, वहीं इस सौभाग्य को पहचान पाते है।
भारतीय जनमानस में क्रांति के जागरण के संबंध में उन्होंने कहा, "क्रांति को घटने के लिए बाहरी नहीं अंदर की आवाज को सुनने की आवश्यकता है। यह समय भारत के सौभाग्य के जागरण समय है। भारतीय अध्यात्म के जागरण का अमृत काल है, सावधान होने का समय है क्योंकि भारत लंबे समय सुषुप्ता अवस्था से जाग रहा है । जाग ही नहीं रहा बल्कि दहाड़ रहा है।"
राष्ट्र जागरण में भारतीय संस्कृति की भूमिका को समझाते हुए उन्होंने कहा कि "यदि पूरे विश्व के मानचित्र में दया, करुणा, ममता और समस्त आध्यात्मिक गुणों की एक मात्र गंगोत्री है तो वह भारत और भारत की संस्कृति है। पूरे विश्व को भारत के ऋणी होने आवश्यकता है। यहां योग की, तप की, अध्यात्म की धाराएं न नहीं होती, मीरा के कीर्तन, कबीर की वाणी, गुरुगोबिंद सिंह के त्याग की धारा न बही होती तो यह वसुधा वीरान होती। मानव अभी भी जंगलों में घूम रहा होता और भारत जगद्गुरु होने की संभावनाओं को कब का खो चुका होता।"
इस आयोजन में मध्यप्रदेश शासन के माननीय मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जी की गरिमामयी उपस्थिति रही। साथ ही सरदार पटेल विश्वविद्यालय परिसर में नर्सिंग कॉलेज भवन का उद्घाटन, सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण, नवनिर्मित सजल श्रद्धा प्रखर प्रज्ञा का लोकार्पण, एवं राष्ट्रीय ध्वज स्तंभ पर ध्वजारोहण कर लोकार्पण भी किया गया।