आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी महाराष्ट्र के बालाघाट में राष्ट्र जागरण 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में सायंकालीन दीप महायज्ञ में पहुंचे
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के अपने पांच दिवसीय प्रवास के चौथे दिन अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी महाराष्ट्र के बालाघाट में राष्ट्र जागरण 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में सायंकालीन दीप महायज्ञ में पहुंचे।
इस पवित्र आयोजन में उपस्थित जन समुदाय को मार्गदर्शन देते हुए आदरणीय डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी ने कहा, "शिष्य का जीवन समर्पण की धुरी पर चलने वाला प्रवाह है। जैसे ही आप अपने आपको गंवाने को, खुद को खोने - गुरुदेव का होने को तत्पर हो जायेंगे वैसे ही आप गुरुकृपा और ईश्वर के अनुदान के अधिकारी बन जाते है। श्रद्धा ही एक मात्र वह अनुबंध है जिसके होने पर गुरुदेव, ईश्वर, भगवान शिष्य का हाथ पकड़ लेते है और जिसका गुरुदेव ने पकड़ लिया उसका जीवन तो अपनी पूर्णता को पा ही चुका।"
साथ ही दिये से दिये को जलाकर अंधेरा दूर करने के इस महाअभियान पर मार्गदर्शन देते हुएं कहा, "गायत्री परिवार अकेले का नहीं पूरी मानवता का प्रकाश है। आज हर व्यक्ति के अंदर अंधकार है, भ्रम है, छलावा है, भय है, हर व्यक्ति सहमा हुआ सा है यही उसे भूल करने के लिए विवश कर रहा है। ऐसे में हर व्यक्ति को अखंड ज्योति के प्रकाश की, गायत्री परिवार के प्रकाश की आवश्यकता है, और हमें अखंड ज्योति के प्रकाश को हर व्यक्ति के चिंतन और अंतस्थल तक पहुंचाना है। आज जहां चारों ओर अंधेरा है ऐसे में हममें से हर को अखंड दीपक बनना होगा। आज हजारों अखंड दीपकों की, हजारों शांतिकुंज की, हजारों गायत्री परिवार की आवश्यकता है।"
शताब्दी वर्ष 2026 के विषय में मार्गदर्शन देते हुएं उन्होंने आगे कहा, "दीपयज्ञ का अवसर है हमे यही याद दिलाने आया है कि हम अपने अंदर के अखंड दीपक को जलाएं और गुरुदेव के प्रखर चिंतन का प्रकाश स्वयं जलकर संपूर्ण वसुधा तक पहुंचाना है। मेरी आपसे यही प्रार्थना है कि हममें से हर एक वो दीपक, जो गुरुदेव के चिंतन से जलकर उद्दीप्त हुआ है मशालों की तरह जलकर और प्रदीप्त हो और इस मिशन की, गुरुसत्ता की, युग चेतना की ज्वाला से सारा संसार जगमगा दें।