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बिहार, झारखण्ड, महाराष्ट्र और गोवा में ज्योति कलश यात्राओं का शुभारंभ
श्रद्धेया शैल जीजी ने चारों राज्यों के विशेष सत्र में प्रथम पूजन कर सौंपे नौ शक्ति कलश
परम पूज्य गुरूदेव द्वारा प्रज्वलित अखण्ड ज्योति की शताब्दी तथा परम वन्दनीया माताजी की जन्मशताब्दी के निमित्त पूरे देश में ज्योति कलश यात्राओं के माध्यम से राष्ट्र जागरण अभियान आरंभ हो गया है। दिसम्बर के प्रथम सप्ताह से बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और गोवा में यह यात्राएँ आरंभ हो रही हैं। दिनांक 17 नवम्बर को नवयुग की गंगोत्री शान्तिकुञ्ज से इन ज्योति कलश यात्राओं के लिए शक्ति कलश लेकर कार्यकर्त्ता अपने- अपने क्षेत्रों के लिए रवाना हुए। शान्तिकुञ्ज में दिनांक 15 से 17 नवम्बर की तिथियों में उपरोक्त प्रांतों में ज्योति कलश यात्राओं के लिए शक्ति कलश प्रदान करने तथा यात्राओं की विधि-व्यवस्था सुनिश्चित कर आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए विशेष सत्र आयोजित किया गया था। इसमें चारों प्रान्तों के लगभग 15000 कार्यकर्त्ताओं की भागीदारी रही। सत्र के अंतिम दिन कार्यकर्त्ताओं को विदाई देते हुए श्रद्धेया शैल जीजी, श्रद्धेय डॉक्टर साहब तथा आदरणीय डॉ. चिन्मय पड्या जी ने अपना विशिष्ट संदेश दिया।
कार्ययोजना
पूर्वी जोन प्रभारी श्री घनश्याम देवांगन ने बताया कि बिहार और झारखण्ड में पाँच स्थानों से कलश यात्राएँ दिसम्बर के प्रथम सप्ताह से रवाना हो रही हैं। इनके लिए विशेष रथ तैयार किये गए हैं। यह यात्राएँ सिलीगुड़ी, राँची, मुजफरपुर, पटना और टाटानगर से दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह में आरंभ हो रही हैं।
महाराष्ट्र में
योति कलश यात्राएँ नाशिक, पूना, गोंदिया तथा भुसावल से रवाना हो रही हैं। यह एक वर्ष तक पूरे गाँव-गाँव, नगर-नगर पहुँचकर लोगों को नवजागृति का संदेश देंगी।
अमृत कणों की वर्षा करेगी ज्योति कलश यात्रा
श्रद्धेया शैल जीजी ने कहा कि परम पूज्य गुरूदेव के संकल्प ‘मानव में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग की स्थापना’ को चरितार्थ करने में यह ज्योति कलश यात्राएँ बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेंगी। उन्होंने भारतीय संस्कृति के विकास हेतु संस्कृति के संवाहकों-युग निर्माण के सैनिकों को संगठित होकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर जब श्रद्धा उभरती है और हम सामूहिकता के साथ कार्य करते हैं, तब बड़े से बड़ा कार्य सहजता के साथ सम्पन्न हो जाता है। श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने कहा कि विचार सशक्त व प्रबल होंगे, तो नकारात्मकता और कुविचारों को आसानी से मिटाया जा सकता है। आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने ‘अखण्ड दीप’ को युग निर्माण योजना के सूत्रधार युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री एवं परम वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा के दिव्य संकल्पों का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह समय मानवता के लिए सूर्योदय का है। जैसे समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश कण हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नाशिक में पड़े तो वह तीर्थ बन गए, वैसे ही हमें ज्योति कलश के अमृत कणों को सर्वत्र बिखेर कर गाँव-गाँव को स्वर्ग बनाना है। तीन दिवसीय सत्र को आदरणीया शेफाली जीजी, शान्तिकुञ्ज के व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि, जोन समन्वयक डॉ. ओ.पी. शर्मा, पश्चिम जोन समन्वयक प्रो. विश्वप्रकाश त्रिपाठी, पूर्वी जोन समन्वयक श्री घनश्याम देवांगन सहित वरिष्ठ वक्ताओं ने भी संबोधित किया।