
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में देशभर से आए संस्कृति विस्तारकों के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ।
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज द्वारा 1 मार्च को देशभर से आए संस्कृति विस्तारकों के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। इस संगोष्ठी में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा (भासंज्ञाप) के माध्यम से एक लाख से अधिक स्कूलों में विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के प्रयासों पर विशेष चर्चा की गई। 18 राज्यों से 390 प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, जिनमें शिक्षक, समन्वयक, और विभिन्न संगठनों के सदस्य शामिल थे।
संगोष्ठी के प्रथम सत्र में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति और युवा आइकन, आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने संबोधित करते हुए कहा कि देश के भावी कर्णधारों को संस्कृति से जोड़े रखना अत्यावश्यक है। जैसे बालक श्रीराम और श्रीकृष्ण ने भी अपने प्रारंभिक जीवन में गुरुकुल में अध्ययन कर जीवन के मूल्यों और आदर्शों को आत्मसात किया, वैसे ही आज की पीढ़ी को भी भारतीय संस्कृति के गहरे मूल्यों से परिचित कराना आवश्यक है।
डॉ. पण्ड्या जी ने प्रांतीय और जिला समन्वयकों को सम्मानित करते हुए कहा, “संस्कृति के संवाहक आप सभी, हमारे समाज और राष्ट्र के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी आने वाली पीढ़ी संस्कृति के इस धरोहर से प्रेरणा ले और समाज को सही दिशा में आगे बढ़ाए।”