
नन्होसती, बेतिया में 108 कुंडीय यज्ञ के सुअवसर पर दीप यज्ञ का दिव्य आयोजन
पाँच दिवसीय प्रवास के अगले क्रम में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का आगमन बेतिया में हुआ, जहाँ 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के पावन अवसर पर दीप यज्ञ का भव्य आयोजन किया गया।
दीप यज्ञ में बड़ी संख्या में परिजन एवं स्थानीय जनसमुदाय ने भाग लिया। यज्ञशाला में प्रज्वलित दीपों की ज्योति ने सम्पूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से भर दिया। दीपों की प्रकाशमय आभा के बीच उपस्थित साधकगणों ने राष्ट्र कल्याण, विश्व शांति एवं समाज की उन्नति के लिए प्रार्थना की।
इस अवसर पर अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने कहा, “बड़े सौभाग्य से हमें मनुष्य का जीवन मिला है। यह पावन भूमि है, और इस पर जन्म लेने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ है। जीवन के इस सौभाग्य को सराहना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “मां गायत्री की कृपा से हमारे भीतर की शक्तियां जागृत होती हैं। गायत्री को बोध की देवी कहा गया है, मां गायत्री हमारी बुद्धि को सन्मार्ग किनार प्रेरित करे।
डॉ. पंड्या जी ने मानव जीवन को सार्थक बनाने का संदेश देते हुए कहा, “ अपने दीपक आप स्वयं बनें, ताकि आपके जीवन का प्रकाश समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सके।”
उन्होंने पूज्य गुरुदेव के विचारों को पुनः स्मरण कराते हुए यज्ञ के महत्व पर प्रकाश डाला और सभी से आह्वान किया कि वे यज्ञीय जीवनशैली को आत्मसात कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहयोग करें।