
गायत्री शक्तिपीठ, बक्सर में पूजन और भावपूर्ण विदाई: आत्मीयता और आस्था का अनुपम संगम
पाँच दिवसीय प्रवास के अगले चरण में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का आगमन आज गायत्री शक्तिपीठ, बक्सर पर हुआ। इस अवसर पर उन्होंने मां गायत्री का पूजन किया और उपस्थित गायत्री परिजनों से आत्मीय भेंट की।
पूरे वातावरण में गहन श्रद्धा और आत्मीयता का संचार था। परिजनों की आंखों में अश्रु थे, हृदय भावनाओं से भरे हुए थे, और विदाई का क्षण अत्यंत भावपूर्ण था। सभी की भावनाओं का सम्मान करते हुए, आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने परिजनों से कहा, “गायत्री परिवार केवल एक संगठन नहीं, यह एक विशाल आध्यात्मिक परिवार है, जहां हर सदस्य का कर्तव्य है कि वह युग निर्माण के इस महान कार्य में अपनी भूमिका निभाए।”
उन्होंने पूज्य गुरुदेव के विचारों का स्मरण कराते हुए कहा कि यज्ञीय जीवनशैली को आत्मसात करना ही समाज की उन्नति का पथ है और यही मार्ग व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ विश्वकल्याण का भी है।
इस आत्मीय विदाई के क्षणों में डॉ. पंड्या जी ने परिजनों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में सादगी, समर्पण और सेवा को स्थान दें और मां गायत्री की कृपा से अपने भीतर की श्रेष्ठ शक्तियों को जागृत करते हुए समाज के लिए प्रेरक बनें।