
प्राचीन, पवित्र भगवान विष्णु की नगरी गया में 108 कुंडीय महायज्ञ का दिव्य आयोजन: आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का संदेश
गया, जो कि मोक्ष प्राप्ति और भगवान बुद्ध की तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध है, यहाँ 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस पवित्र अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। पाँच दिवसीय प्रवास के अंतर्गत उनका यहाँ आगमन हुआ, जहाँ श्रद्धालुओं और परिजनों ने महायज्ञ में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
डॉ. पंड्या जी ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा, “गया की पवित्र भूमि पर यज्ञ का आयोजन हमारे भीतर छिपे देवत्व को जागृत करने का अवसर प्रदान करता है। यज्ञ केवल आत्मिक शुद्धि का माध्यम नहीं, बल्कि समाज में नैतिक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण का सशक्त साधन है।” उन्होंने आगे कहा, “यज्ञीय जीवनशैली को आत्मसात कर हम समाज में सद्भाव, सेवा, और परोपकार के आदर्शों को बढ़ावा दे सकते हैं।”
इस ऐतिहासिक अवसर पर बिहार राज्य के सहकारिता मंत्री श्री प्रेम कुमार जी ने सपत्नीक इस अवसर पर पहुंचकर डॉ चिन्मय पंड्या जी से भेंट की। डॉ पंड्या जी ने उन्हें परम पूज्य गुरुदेव का युग साहित्य भेंट किया।
यज्ञ के देव पूजन के शुभ अवसर पर चैंबर्स ऑफ कॉमर्स गया द्वारा आदरणीय डॉ. पंड्या जी को विश्वगुरु शोध सम्मान से सम्मानित किया गया।
यह समर्पण और सम्मान का क्षण उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।