
आध्यात्मिक आभा में चाकुलिया: दीप महायज्ञ के प्रकाश में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का प्रेरणास्रोत उद्बोधन
चाकुलिया, झारखंड के हरे-भरे परिदृश्य में, जहाँ प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत का संगम होता है, इसी आध्यात्मिक धरती पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का आगमन हुआ, जहां उन्होंने अपने 5 दिवसीय प्रवास के अंतर्गत दीप महायज्ञ में सम्मिलित होकर साधकों को संबोधित किया।
महायज्ञ के दौरान अपने उद्बोधन में डॉ. पंड्या जी ने जीवन के गहरे आध्यात्मिक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भगवान के प्रति भरोसा हो, भावना में बल हो और प्रार्थना केवल एक ही हो—हमें उन्हें देख पाने की सामर्थ्य प्राप्त हो।” उन्होंने स्पष्ट किया कि हम भगवान को न केवल पूजें, बल्कि अपने जीवन के हर पहलू में उनकी उपस्थिति को अनुभव करें।
डॉ. पंड्या जी ने कहा, समर्पण ईश्वर के प्रति तभी सच्चा होता है जब वह हमारे हृदय की गहराइयों से आता है। हमें अपने जीवन के सभी सिद्धांतों को सही ढंग से जीना चाहिए।
अपने प्रेरणादायक विचारों को साझा करते हुए उन्होंने गुरुदेव की सर्वव्यापी उपस्थिति का भी उल्लेख किया, “गुरुदेव को हर व्यक्ति का पता है, और वह हमें सही दिशा में मार्गदर्शित करते हैं।”
“चलता वही है जिस पर भगवान का हाथ होता है,” यह संदेश साधकों के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ। इस दीप महायज्ञ में हज़ारों साधकों ने सम्मिलित होकर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की।