गायत्री परिवार का दर्शन: एक समग्र क्रांति की संकल्पना
गायत्री परिवार केवल एक संगठन नहीं, एक जीवन पद्धति है, जो व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण और फिर राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर होती है। इसका दर्शन जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगतिशीलता और संतुलन लाता है। इसके प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं:
तीन समर्थ आयाम – आधारभूत शक्ति स्तंभ
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योजना, शक्ति, ईश्वर की — ईश्वर के प्रति विश्वास और आत्मशक्ति का जागरण।
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अनुशासन, संरक्षण, ऋषियों का — ऋषि परंपरा के माध्यम से चरित्र निर्माण और मर्यादाओं का पालन।
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पुरुषार्थ, सहकार, सत्पुरुषों का — सहयोग और परिश्रम के माध्यम से समाज में सृजनात्मक ऊर्जा का संचार।
आत्मनिर्माण के सूत्र – व्यक्तिगत विकास की कुंजी
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उत्कृष्ट चिन्तन, आदर्श कर्तृत्व
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सादा जीवन – उच्च विचार
इन दो सूत्रों के माध्यम से व्यक्ति का चरित्र निर्मित होता है, जो समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बनता है।
हमारे आधारभूत कार्यक्रम – क्रांति के तीन चरण
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नैतिक क्रांति – मूल्य आधारित जीवन की स्थापना।
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बौद्धिक क्रांति – विवेकशीलता और तार्किक सोच का विकास।
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सामाजिक क्रांति – समाज में समानता, सहकार और सेवा का विस्तार।
इन तीनों क्रांतियों को आगे बढ़ाने के लिए धर्मतंत्र-आधारित लोकशिक्षण, गायत्री मंत्र, यज्ञीय जीवनशैली और सामूहिक विवेकशीलता जैसे साधनों का प्रयोग किया जाता है।
हमारा उद्घोष – संकल्प की शक्ति
“हम बदलेंगे – युग बदलेगा, हम सुधरेंगे – युग सुधरेगा”
यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि आत्मोत्थान और सामाजिक उत्थान का मंत्र है।
हमारा प्रतीक – लाल मशाल
यह मशाल संपूर्ण क्रांति और जागरूकता की प्रतीक है – युग-शक्ति के सामूहिक विकास के लिए।
हमारा संविधान – युग निर्माण सत्संकल्प के 18 सूत्र
युग निर्माण योजना को सुदृढ़ करने के लिए 18 सूत्रों को जीवन में उतारने का आह्वान किया गया है। ये सूत्र जीवन के हर क्षेत्र को छूते हैं – जैसे आहार, व्यवहार, श्रम, सेवा, संयम, राष्ट्र भक्ति, लोकमंगल आदि।
ध्रुव मान्यताएँ – आंतरिक सच्चाई का बोध
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मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है।
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नर-नारी पूरक हैं, प्रतिद्वन्द्वी नहीं।
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जैसा सोचोगे और करोगे, वैसा ही बनोगे।
यह मान्यताएँ व्यक्ति को स्वावलंबी, आत्मविश्वासी और उदार बनाती हैं।
जीवन निर्माण की साधनाएँ – आध्यात्मिक और व्यावहारिक मार्ग
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चार सूत्र: साधना, स्वाध्याय, संयम, सेवा
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तीन आधार: उपासना, साधना, आराधना
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चार चरण (प्रगतिशील जीवन): समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, बहादुरी
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चार स्तंभ (समर्थ जीवन): इन्द्रिय संयम, अर्थ संयम, समय संयम, विचार संयम
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चार चरण (आत्मिक प्रगति): आत्मसमीक्षा, आत्मसुधार, आत्मनिर्माण, आत्मविकास
इन आयामों के माध्यम से व्यक्ति केवल आध्यात्मिक नहीं, सामाजिक, मानसिक और नैतिक रूप से भी सशक्त होता है।
विचार क्रांति की प्रक्रिया और साधन
गायत्री परिवार विचार-क्रांति के माध्यम से लाखों व्यक्तियों को आत्मनिर्माण की दिशा में प्रेरित कर रहा है। इसके लिए निम्न साधनों का उपयोग किया जाता है:
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यज्ञ–संस्कारों का प्रचार
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प्रवचनों एवं साहित्य के माध्यम से लोक शिक्षण
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अखण्ड ज्योति पत्रिका और युग निर्माण योजना के साहित्य द्वारा जन-जागरण
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युवा वर्ग को प्रेरित करने हेतु शांतिकुंज जैसे प्रशिक्षण केंद्र
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प्रचार-प्रसार के लिए युगसंगीत, नाटक, रैलियाँ, अभियान
व्यापकता और प्रभाव
आज गायत्री परिवार विश्व के 80 से अधिक देशों में कार्य कर रहा है। करोड़ों लोग इस आंदोलन से जुड़ चुके हैं और ‘हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा’ को आत्मसात कर अपने जीवन में बदलाव ला रहे हैं। यह आंदोलन एक शांत सामाजिक क्रांति है, जिसमें कोई विरोध नहीं, केवल निर्माण है।
गायत्री परिवार का मूल मंत्र है – विचारों में उत्कृष्टता और कर्तव्यों में आदर्शता। गुरुदेव ने विचारों को बदलने की जो वैज्ञानिक पद्धति दी है, वह व्यक्ति से लेकर राष्ट्र तक के विकास की नींव बन गई है। यह आंदोलन हमें यह सिखाता है कि हम सब अपने भीतर निहित ईश्वरीय शक्ति को पहचानें, स्वयं को सुधारें, और समाज को बेहतर बनाएं।
क्योंकि जब हम बदलेंगे – तभी युग बदलेगा।