तीन समर्थ आयाम :
- योजना-शक्ति-ईश्वर की
- अनुशासन-संरक्षण-ऋषियों का
- पुरुषार्थ-सहकार-सत्पुरुषों का
आत्मनिर्माण के दो सूत्र:
- उत्कृष्ट चिन्तन, आदर्श कर्तृत्व
- सादा जीवन --उच्च विचार।
हमारे आधारभूत कार्यक्रम:
- नैतिक क्रांति, बौद्धिक क्रांति, सामाजिक क्रांति
- धर्मतंत्र-आधारित विविध माध्यमों से लोकशिक्षण
- गायत्री-सामूहिक विवेकशीलता एवं यज्ञ-सहकारितायुक्त सत्कर्म।
हमारा उद्घोष:
- हम बदलेंगे-युग बदलेगा, हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा
- इक्कीसवीं सदी --उज्ज्वल भविष्य सबकी सेवा
- सबसे प्रेम।
हमारा प्रतीक:
- लाल मशाल-समग्र क्रान्ति के लिए सामूहिक सशक्त प्रयास-युग शक्ति का विकास।
हमारा संविधान:
- युग निर्माण सत्संकल्प के 18 सूत्र।
हमारी ध्रुव मान्यताएँ :
- मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है।
जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है।
- नर-नारी परस्पर प्रतिद्वन्द्वी नहीं, पूरक हैं।
जीवन निर्माण के चार सूत्र:
- साधना
- स्वाध्याय
- संयम
- सेवा।
आध्यात्मिक जीवन के तीन आधार:
- उपासना
- साधना
- आराधना।
प्रगतिशील जीवन के चार चरण:
- समझदारी
- ईमानदारी
- जिम्मेदारी
- बहादुरी।
समर्थ जीवन के चार स्तंभ:
- इंद्रिय संयम
- अर्थ संयम
- समय संयम
- विचार संयम।
आत्मिक प्रगति के चार चरण:
- आत्मसमीक्षा
- आत्मसुधार
- आत्मनिर्माण
- आत्मविकास।तीन समर्थ आयाम :
- योजना-शक्ति-ईश्वर की
- अनुशासन-संरक्षण-ऋषियों का
- पुरुषार्थ-सहकार-सत्पुरुषों का
आत्मनिर्माण के दो सूत्र:
- उत्कृष्ट चिन्तन, आदर्श कर्तृत्व
- सादा जीवन --उच्च विचार।
-
हमारे आधारभूत कार्यक्रम:
- नैतिक क्रांति, बौद्धिक क्रांति, सामाजिक क्रांति
- धर्मतंत्र-आधारित विविध माध्यमों से लोकशिक्षण
- गायत्री-सामूहिक विवेकशीलता एवं यज्ञ-सहकारितायुक्त सत्कर्म।
-
हमारा उद्घोष:
- हम बदलेंगे-युग बदलेगा, हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा
- इक्कीसवीं सदी --उज्ज्वल भविष्य सबकी सेवा
- सबसे प्रेम।
-
हमारा प्रतीक:
- लाल मशाल-समग्र क्रान्ति के लिए सामूहिक सशक्त प्रयास-युग शक्ति का विकास।
-
हमारा संविधान:
- युग निर्माण सत्संकल्प के 18 सूत्र।
-
हमारी ध्रुव मान्यताएँ :
- मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है।
-
जो जैसा सोचता और करता है, वह वैसा ही बन जाता है।
- नर-नारी परस्पर प्रतिद्वन्द्वी नहीं, पूरक हैं।
-
जीवन निर्माण के चार सूत्र:
- साधना
- स्वाध्याय
- संयम
- सेवा।
-
आध्यात्मिक जीवन के तीन आधार:
- उपासना
- साधना
- आराधना।
-
प्रगतिशील जीवन के चार चरण:
- समझदारी
- ईमानदारी
- जिम्मेदारी
- बहादुरी।
-
समर्थ जीवन के चार स्तंभ:
- इंद्रिय संयम
- अर्थ संयम
- समय संयम
- विचार संयम।
-
आत्मिक प्रगति के चार चरण:
- आत्मसमीक्षा
- आत्मसुधार
- आत्मनिर्माण
- आत्मविकास।