विचारों का विज्ञान और युग निर्माण का मार्ग
विचारों की शक्ति असीम है। परंतु अधिकतर लोगों के लिए विचार केवल कल्पनाएँ मात्र होते हैं। वे न तो उन्हें विशेष महत्व देते हैं और न ही उनसे अपनी चेतना का कोई विशेष संबंध समझते हैं। इसका एकमात्र कारण यह है कि उन्होंने विचारों की शक्ति पर कभी गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया और न ही यह अनुभव किया कि वास्तव में हम शुद्ध चेतना हैं।
वास्तव में यह समूचा सृष्टि-जगत विचारों की ही उपज है। यह भौतिक संसार, जो हमें स्थूल रूप में दिखाई देता है, वह भी सूक्ष्म विचार-शक्ति का ही सघन रूप है। उपनिषदों में कहा गया है — "एकोहम बहुस्यामि", अर्थात् सृजन की मूल प्रेरणा भी एक विचार ही थी। यदि हम केवल आध्यात्मिक दृष्टि से न भी देखें, तो भी यह निर्विवाद है कि संसार में जितनी भी खोजें, आविष्कार, साहित्य, कला, विज्ञान, तकनीकी और जीवन परिवर्तनकारी व्यवस्थाएँ बनीं — वे सभी पहले किसी के मस्तिष्क में एक विचार के रूप में उत्पन्न हुईं। विचार से चिंतन हुआ, चिंतन से योजना बनी और योजना से यथार्थ सृजन हुआ।
गायत्री परिवार और विचार क्रांति अभियान
विचारों के इस विज्ञान को ही ‘अखिल विश्व गायत्री परिवार’ ने युग परिवर्तन का मूल आधार बनाया है। परम वंदनीय पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने कहा — "मनुष्य जैसा सोचता है, वैसा बनता है।" इसी सूत्र को आधार बनाकर उन्होंने विचार क्रांति अभियान की शुरुआत की। यह आंदोलन न केवल व्यक्तित्व के परिष्कार की ओर उन्मुख है, बल्कि इसके माध्यम से समाज व राष्ट्र के उत्थान की एक संगठित योजना चलाई जा रही है।
विचार क्रांति का उद्देश्य है —
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व्यक्ति को उसके चेतन और दिव्य स्वरूप का परिचय कराना,
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उसे सकारात्मक, सृजनात्मक और सात्विक चिंतन की दिशा में मोड़ना,
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और फिर उसी मानसिकता से समाज को नव दिशा देना।
विचारों की तरंगें और प्राणशक्ति की भूमिका
मानव जीवन का हर क्षण विचारों से बुन हुआ है। जीवन की दिशा और दशा, दोनों का आधार व्यक्ति के विचार होते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि विचार तरंगों की आवृत्ति और विस्तार, विद्युत-चुंबकीय तरंगों से भी अधिक है।
जिस व्यक्ति के विचार जितने दिव्य, उच्च और व्यापक होते हैं, उसमें उतनी ही अधिक प्राणशक्ति (Vital Energy) संचित होती है। यह प्राणशक्ति विचारों को एक ऊर्जावान दिशा देती है। यही कारण है कि कुछ महापुरुषों के विचार पूरी मानवता को प्रभावित करते हैं। पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी की युग निर्माण योजना और उनके लेखन में इसी दिव्यता की तरंगें आज भी अनुभव की जा सकती हैं।
विचारों की आभा और उसका प्रभाव
हर व्यक्ति के शरीर से उसकी अंतःप्रवृत्तियों के अनुसार एक आभा-मंडल (Aura) प्रकट होता है। किरलियन फोटोग्राफी द्वारा यह आभा देखा भी जा सकता है। यह आभा व्यक्ति के सत्व, रज और तम गुणों पर आधारित होती है।
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जहाँ क्रूरता, द्वेष और वासना जैसे विचार काले और धूमिल रंगों में दिखते हैं,
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वहीं प्रेम, सेवा, त्याग और तप जैसे विचार उज्ज्वल लाल, पीले, नीले रंगों में परिवर्तित होते हैं।
महान योगीजन इस विचारों के सूक्ष्म लोक (Ideosphere) को देख सकते हैं, समझ सकते हैं और आवश्यक हो तो प्रभावित भी कर सकते हैं। यही प्रक्रिया गायत्री साधना और सामूहिक जप-यज्ञ के माध्यम से गायत्री परिवार द्वारा आज के युग में भी अपनाई जा रही है।
गायत्री साधना और व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया
गायत्री परिवार के अनुसार, व्यक्तित्व निर्माण के लिए मन के तीन केंद्र —
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आद्य मस्तिष्क (Primal Brain),
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मध्य मस्तिष्क (Middle Brain),
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वर्तमान मस्तिष्क (Present Brain) —
का संतुलन और प्रशिक्षण आवश्यक है।
इस प्रक्रिया में —
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गायत्री मंत्र जप द्वारा चेतना का जागरण,
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प्राणायाम द्वारा मानसिक स्थिरता और ऊर्जा संचय,
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ध्यान-धारणा द्वारा चित्त की एकाग्रता,
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और सामूहिक यज्ञ के माध्यम से वातावरण की शुद्धि —
ये सभी व्यक्तिगत एवं सामूहिक परिवर्तन के प्रभावशाली साधन बन जाते हैं।
विचारों का विज्ञान और सामाजिक परिवर्तन
गायत्री परिवार का मानना है कि यदि एक व्यक्ति अपने दस अरब मस्तिष्कीय कोशिकाओं को व्यवस्थित कर ले, तो वह स्वयं एक युग परिवर्तनकारी महापुरुष बन सकता है। इसीलिए आचार्यश्री ने बार-बार कहा — "हम बदलेंगे, युग बदलेगा।"
यह कोई कोरी कल्पना नहीं, बल्कि वैज्ञानिक शोधों, व्यवहारिक प्रयोगों और हजारों साधकों के आत्मानुभवों से सिद्ध हुआ सत्य है।
विचार क्रांति अभियान के साधन और व्यापकता
गायत्री परिवार का विचार क्रांति आंदोलन विविध माध्यमों से समाज में सक्रिय है —
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युग साहित्य का वितरण — सस्ती मूल्य पर उच्च विचारों का प्रचार
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प्रेरणादायक प्रवचन और सत्संग
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बाल संस्कार शालाएँ और युवा चेतना केंद्र
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जनजागरण यात्राएँ, संगोष्ठियाँ, शिविर
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युग निर्माण योजना के 18 सूत्रों के अनुसार सामाजिक संगठन
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शांतिकुंज, हरिद्वार जैसे स्थानों से विश्वव्यापी निर्देशन
आज 100 से अधिक देशों में गायत्री परिवार की शाखाएँ सक्रिय हैं। लाखों साधक इस आंदोलन से जुड़े हुए हैं और अपने-अपने स्तर से समाज में सकारात्मक परिवर्तन की मशाल जला रहे हैं।
आज जब विचारों की दिशा गलत हो चली है, जब समाज में निराशा, द्वेष, संकीर्णता और अराजकता बढ़ रही है — ऐसे समय में विचारों का विज्ञान और गायत्री परिवार का विचार क्रांति आंदोलन मानवता के लिए एक दिव्य आशा की किरण है।
यदि हम अपने विचारों को शुद्ध करें, उन्हें आत्मबल और तपबल से सशक्त करें, तो निश्चित ही समाज और राष्ट्र के नव निर्माण की दिशा में ठोस और चमत्कारी कदम उठाए जा सकते हैं।
आओ, हम सब मिलकर विचार क्रांति के वाहक बनें — स्वयं को बदलें, समाज को जगाएँ और युग परिवर्तन का भागीदार बनें।