साधना से पवित्र होता है कर्म व व्यवहार ः डॉ प्रणव पण्ड्या
हरिद्वार 4 अक्टूबर।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधना से मन, कर्म और व्यवहार का शुद्धिकरण होता है। साधना से ही विचार और भाव पवित्र होता है और साधक में आध्यात्मिक शक्तियों का जागरण होता है।
वे गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में देश-विदेश से नवरात्र साधना करने आये साधकों को संबोधित कर रहे थे। प्रख्यात आध्यात्मिक चिंतक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण जी कहते हैं कि अच्छे कर्म, व्यवहार और भाव से साधक का व्यक्तित्व में निखार आता है और ऐसे व्यक्तित्ववान साधक ही भगवान को प्रिय होते हैं। प्रसिद्ध आध्यात्मिक पत्रिका अखण्ड ज्योति के संपादक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि अहंता को अपने इष्ट में समर्पित करने का नाम है साधना। जिस तरह से अर्जुन ने अपना सब कुछ श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था। इस दौरान नवचेतना के उद्घोषक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने गीता सार के आठ बिन्दुओं पर साधकों का मार्गदर्शन किया।
इससे पूर्व शांतिकुंज के संगीतज्ञों ने राम और श्रीराम एक हैं, दुनिया जान न पाई गीत से साधकों को साधनात्मक पोषण दिया। समापन से पूर्व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने श्रीगीता जी की आरती की। इस अवसर पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज परिवार सहित देश-विदेश से आये गायत्री साधक उपस्थित रहे।
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