Magazine - Year 1940 - Version 2
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प्राणायाम के लाभ
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(ले.-पं. शिवराज शर्मा, चाँपानेरी) प्राणायाम की महत्ता शारीरिक और मानसिक दोनों दृष्टियों से अद्भुत है। अखण्ड ज्योति के पिछले दो अंकों में एक ख्यातिनामा डॉक्टर ने प्राणायाम द्वारा होने वाले लाभों को बताया है जिन लोगों ने क्रियात्मक रूप से प्राणायाम का अभ्यास किया है उन्होंने जाना है कि यह महाविज्ञान शरीर और मन को कितनी अलौकिक शक्ति प्रदान करता है। मोटे तौर से देखने में इतना ही मालूम पड़ता है कि साँस जल्दी-जल्दी और गहरी लेने तथा श्वास लेने की क्रिया में रोक थाम करने से जो कुछ होगा वह फेफड़ों तक सीमित रहेगा, हृदय पर कुछ असर पड़ेगा या रक्त संचार में कुछ परिवर्तन हो जायगा। यह कार्य साधारण व्यायाम या साँस की गति को बढ़ाकर किया जा सकता है। फिर प्राणायाम पर ही इतना जोर क्यों दिया जाता है? अभी भारत के वह सुदिन नहीं आये हैं जब कि यहाँ के विज्ञानवादी अपने प्राचीन अमृतमय तत्वों की शोध में लग जावें और उस शोध के उपयुक्त यंत्रों को उपलब्ध कर सकें या निर्माण कर सकें। जब वह सुदिन आवेगा तब निश्चय ही प्राणायाम के संबंध में ऐसे आश्चर्यजनक लाभों की सिद्धि प्रमाणित की जा सकेगी जिससे वैज्ञानिक जगत में खलबली मच जाय। प्राणायाम द्वारा प्रत्यक्ष रूप से जो लाभ होते हैं उनका वैज्ञानिक दृष्टि से हम कोई निराकरण नहीं कर सकते परन्तु इतना कह सकते हैं कि इसके लाभ अपार हैं, जो चाहे आजमा कर देख ले। परीक्षा ही इसकी कसौटी हो सकती है। अनुभवी महात्माओं का कहना है कि श्वास यंत्र फुफ्फुस तक की वायु सीमित नहीं है वह सम्पूर्ण शरीर में जाती है और लौटती है। रक्त के समान ही शरीर के प्रत्येक स्थान पर वायु का भी दौरा होता है। यदि ऐसा न होता तो शरीर लोहे के समान ठोस हो जाता और वायु संबंधी कोई रोग होता तो केवल फेफड़े में ही होता गुदा द्वारा जो अपान वायु निकलती है वह कहाँ से आती है? इसलिए प्राणायाम का लाभ केवल फेफड़ों तक ही सीमित न रह कर सारे शरीर से संबंधित है। प्राणायाम की विशिष्ट वैज्ञानिक क्रिया द्वारा संपूर्ण शरीर में वायु ऐसी तीक्ष्णतापूर्वक आती जाती है कि उसके मार्ग में पड़े हुए मल और रोग जन्तु काँप जाते हैं और वे जहाँ चिपके हुए हैं वहाँ से छूट कर रक्त प्रवाह के साथ बाहर निकल जाते हैं। इस प्रकार प्राणायाम की क्रिया संपूर्ण शरीर के मलों को बाहर निकाल कर सुन्दर स्वास्थ्य प्रदान करने में समर्थ होती है। कई अंग जो वायु और रक्त का दौरा ठीक न होने के कारण रुग्ण और अशक्त हो जाते हैं प्राणायाम के अभ्यास से दूर होते देखे गये हैं। गठिया, अर्बुद, तिल्ली बढ़ना, शोध, दर्द, शरीर का टूटना या भड़कना यह रोग प्राणायाम द्वारा ठीक होने योग्य हैं। मस्तिष्क के अनेक रोग इससे दूर होते हैं। जिन्हें जुकाम बना रहता है और दवाएं करते थक गये हैं, आधाशीशी, मस्तक शूल, सिर का भारीपन, रहने की जिन्हें शिकायत है वे प्राणायाम की परीक्षा करके देखें, एक बार का परीक्षण उन्हें पर्याप्त विश्वास प्रदान कर सकेगा। मस्तिष्क की शक्तियाँ प्राणायाम से बढ़ती है, याददाश्त की कमी, चिड़चिड़ापन, किसी बात को ठीक तरह से न सोच सकना, बुरी भावनाएं आती रहना, थोड़ी देर में ही मस्तिष्क का थक जाना, इस प्रकार की बीमारियों में प्राणायाम से आशातीत लाभ होता है। ऐसा अनुभव में आया है कि दिमाग की गर्मी और कमजोरी में यह विशिष्ट श्वास क्रिया कुछ ऐसा रासायनिक समन्वय करती है जिससे अतिरिक्त गर्मी निकल जाती है और शीतलता प्राप्त होती है। प्राणायाम के बाद प्रायः मस्तिष्क शान्त और शीतल हो जाता है। अखंड ज्योति संपादक श्री0 शर्मा जी ने मुझे बताया था कि एक ऐसा व्यक्ति जिसकी स्मरणशक्ति बिल्कुल नष्ट हो गई थी और जिसे यह भी याद नहीं रहता था कि अभी घंटे भर पूर्व मैंने क्या किया था, प्राणायाम का अभ्यास कराने पर तीन महीने में ही अच्छा हो गया और उसकी स्मरणशक्ति बिल्कुल अच्छी हो गई। श्री0 शर्मा जी ने और भी अनेक विवरण मुझे बताये थे जिनके अनुसार उन्होंने विभिन्न प्रकार के प्राणायामों का अभ्यास कराके कठिन मानसिक रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को अच्छा किया था। आत्मचिन्तन करने वाले और आध्यात्म पथ पर अग्रसर होने वालों के लिए तो प्राणायाम मानो राजमार्ग ही है। चित्त का निग्रह मन की निरोधता प्राणायाम बिना होना कठिन है। षट् चक्रों का बेधन और कुण्डलिनी जागरण का आरंभ प्राणायाम सिद्ध के बाद होता है। धारणा और ध्यान की अवस्थिति का ठीक प्रकार से होना भी इसी साधन की सहायता पर अवलंबित होता है। योग शास्त्र के आचार्यों ने योग साधना के आठ अंगों से प्राणायाम को चौथा स्थान देकर इसकी उपयोगिता का सम्मान किया है। आज के बाबू लोग इस महाक्रिया को ‘फेफड़ों की छोटी सी कसरत’ कह कर उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं उनके लिए अभी वैज्ञानिक यंत्रों द्वारा प्रमाणित उत्तर हमारे पास नहीं हैं परन्तु फिर भी पारस, पारस ही रहेगा जिसका जी आवे अपने लोहे को उससे छूकर देख लेने प्रत्यक्ष के लिए और प्रमाण क्या चाहिए।